21वीं सदी में भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पर सबसे अधिक रहेगा जोर, दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाएं भी रह जाएंगी पीछे: केपीएमजी

21वीं सदी में भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर पर सबसे अधिक रहेगा जोर, दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाएं भी रह जाएंगी पीछे: केपीएमजी

नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत 21 वीं सदी में बुनियादी ढांचे की सबसे बड़ी योजनाओं को लागू करने में सक्षम होगा। इतना ही नहीं हम दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी पीछे छोड़ने में कामयाब होंगे। इस पहल के लिए पूंजी के राजकोषीय स्रोतों का सृजन अहम होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, “इनोवेटिव फाइनेंशियल स्ट्रक्चर के माध्यम से विदेशी और घरेलू पूंजी को आकर्षित करने और निवेश को आसान बनाने के लिए कदम महत्वपूर्ण होंगे।”

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे क्षेत्रों में टिकट परियोजनाओं पर बड़े सरकारी खर्च के कारण दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है।

‘केपीएमजी 2024 इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ट्रांसपोर्ट सीईओ आउटलुक’ रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के 120 सेक्टर लीडर्स के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर के सीईओ अगले तीन वर्षों में आय और कर्मचारियों की संख्या के मामले में व्यवसाय में वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, 63 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्टेशन सीईओ को उम्मीद है कि अगले 3 वर्षों में आय में 2.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होगी। हालांकि वे जेनरेटिव एआई और दूसरी नई टेक्नोलॉजी के प्रभाव, वैश्विक अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और टैलेंट के लिए प्रतिस्पर्धा के बारे में चिंतित हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 57 प्रतिशत सेक्टर सीईओ का कहना है कि पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) से जुड़ी हितधारकों की अपेक्षाएं तेजी से बदल रही हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि आधे से अधिक सीईओ का मानना ​​है कि जलवायु परिवर्तन अनुकूलन पर वैश्विक विफलता का उनके विकास पर अल्पकालिक से मध्यम अवधि का प्रभाव पड़ेगा।

भारत में केपीएमजी के पार्टनर, सह-प्रमुख डील एडवाइजरी और इंफ्रास्ट्रक्चर, विनिवेश और विशेष स्थिति समूह के प्रमुख मनीष अग्रवाल ने कहा कि जनरेशन एआई जैसी उभरती हुई टेक्नोलॉजी को अपनाने की दौड़ इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के सीईओ के एजेंडे में बढ़ गई है।

हमारे सर्वेक्षण में सीईओ ने प्रतिभा की कमी, टेक्नोलॉजी अपनाने और जलवायु जोखिम से संबंधित चिंताओं का उल्लेख किया।

केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार, वे कहते हैं कि वे जेनरेटिव एआई के जोखिमों को लेकर चिंतिंत हैं। वे हितधारकों की अपेक्षाओं और कॉम्प्लेक टेक्नोलॉजी वातावरण को बदलने की बात करते हैं।”

“वे अपनी एआई क्षमताओं और कौशल का विस्तार करने को तैयार हैं।”

वे अपने कर्मचारियों को प्राथमिकता दे रहे हैं और अपनी प्रतिभा का विकास कर रहे हैं। शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे जनता का विश्वास बनाने पर पहले से कहीं अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”

केपीएमजी सीईओ आउटलुक के 10वें संस्करण ने 25-29 जुलाई, 2024 के बीच 1,325 सीईओ के साथ सर्वेक्षण किया।

सभी उत्तरदाताओं का वार्षिक राजस्व 500 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है और सर्वेक्षण की गई कुल कंपनियों में से एक तिहाई का वार्षिक राजस्व 10 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है।

सर्वेक्षण में 11 प्रमुख बाजारों – ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, स्पेन, यूके और यूएसए और 11 प्रमुख उद्योग क्षेत्रों के सीईओ शामिल थे।

-आईएएनएस

एसकेटी/केआर

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