मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए एम्स प्रशासन ने निर्णय लिया है कि कोई भी डॉक्टर पर्चे पर दवा के ब्रांड का नाम नहीं लिखेगा। जो दवाएं लिखी जाएंगी वह एम्स परिसर के भीतर खुले जन औषधि केंद्र या अमृत फार्मेसी पर उपलब्ध होंगी।
जो भी डॉक्टर इस व्यवस्था का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। यह निर्णय कुछ डॉक्टरों के बाहर की दवा लिखने की शिकायत के बाद लिया गया है। एम्स में हर दिन करीब साढ़े तीन हजार मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आते हैं।
यहां मरीजों को नि:शुल्क दवा का वितरण नहीं होता। बल्कि मरीजों को सस्ती दवा मिले, इसके लिए परिसर में ही अमृत फार्मेसी की दुकान के अलावा एक जन औषधि केंद्र भी खोला गया है। इसके बावजूद आए दिन बाहर की दवाएं लिखने का आरोप लगता रहता है।
एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने शुक्रवार को संस्थान के प्रशासनिक समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए बाहर की दवा लिखने और इससे संस्थान की छवि पर पड़ रहे नकारात्मक असर की चर्चा की। डायरेक्टर ने कहा कि कुछ डॉक्टर संस्थान के परिसर के बाहर स्थित मेडिकल दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिख रहे हैं।
इस अनैतिक प्रथा को बंद किया जाना चाहिए। इसके बाद बैठक में उपस्थित सभी विभागाध्यक्षों ने सहमति जताई कि पर्चे पर जो दवाओं का फार्मूला लिखा जाएगा और जो प्रिस्क्रिप्शन होगा, उससे संबंधित दवाएं जन औषधि केंद्र में मिलेंगी। यदि जन औषधि केंद्र में वह दवा उपलब्ध नहीं है, तो मरीजों को फिर अमृत फार्मेसी की ओर निर्देशित किया जाएगा जो,संस्थान परिसर के अंदर ही स्थित है।
डॉ. पाल ने कहा कि सभी डॉक्टर केवल सामान्य दवाएं लिखें। किसी भी हाल में ब्रांड का नाम नहीं लिखा जाएगा। सभी विभागाध्यक्ष इस नियम का सख्ती से पालन कराएं। इस आदेश का उल्लंघन करने पर संस्थान के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
आईएमए ने भी शुरू की है पहल, ब्रांड के साथ लिख रहे साल्ट
एम्स गोरखपुर की तरफ से शुरू की गई पहल का आईएमए ने स्वागत किया है। सचिव डॉ. अमित मिश्रा ने बताया कि हमारा संगठन करीब छह महीने से इसके लिए प्रयास कर रहा है। डॉक्टरों को कहा गया है कि दवा के पर्चे पर ब्रांड के साथ साल्ट का नाम जरूर लिखें।
मेरे समेत कई डॉक्टर पर्चे पर साल्ट का नाम अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में प्रिंट करवाते हैं। हालांकि, इसमें यह दिक्कत आती है कि पर्चे पर हाथ से लिखने के बाद फिर उसे कम्प्यूटर से टाइप कराना होता है।
हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि संगठन से जुड़ा हर डॉक्टर अपने पर्चे पर साल्ट का नाम जरूर लिखे। साल्ट नाम लिखा होने से मरीज को एक फायदा यह भी होता है कि अगर वह दूर दराज का है तो केमिस्ट के पास संबंधित दवा उपलब्ध नहीं है तो साल्ट देखकर उसी नाम की दूसरी दवा देगा, जिससे मरीज को बेवजह की भागदौड़ से मुक्ति मिलेगी। हालांकि, अभी यह कम ही डॉक्टर कर रहे हैं।