असम में स्थायी शांति की दिशा में अहम कदम

असम में स्थायी शांति की दिशा में अहम कदम

पूरे पूर्वोत्तर भारत और खासकर असम में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए उग्रवादी संगठनों के साथ समझौता कर उनके सशस्त्र कैडर को मुख्य धारा में जोड़ने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को उल्फा के राजखोवा गुट के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर होगा। परिणाम स्वरूप विभिन्न तरह की हिंसा में लगभग तीन-चौथाई की कमी आई है।

पूरे पूर्वोत्तर भारत और खासकर असम में स्थायी शांति स्थापित करने के लिए उग्रवादी संगठनों के साथ समझौता कर उनके सशस्त्र कैडर को मुख्य धारा में जोड़ने का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में शुक्रवार को उल्फा के राजखोवा गुट के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ ही उल्फा के लगभग एक दर्जन से अधिक शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।

पिछले चार सालों में असम में ही आदिवासी उग्रवादी समूहों, बोडो उग्रवादी समूह, कार्बी और दीमासा समूहों के साथ शांति समझौता हो चुका है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, शांति समझौते में असम की संस्कृति और मूल निवासियों के जमीन पर अधिकारों को सुरक्षित करने के साथ ही कई राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को शामिल किया गया है। उल्फा के शीर्ष नेता अनुप चेतिया और सशधर चौधरी समझौते को अंतिम रूप देने के लिए पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में है।

मुख्य वार्ताकार एके मिश्रा और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका के साथ कई दौर के बातचीत के बाद शुक्रवार को समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला लिया गया। परेश बरुआ के नेतृत्व वाला उल्फा का कट्टरपंथी धड़ा समझौते में शामिल नहीं है।

माना जा रहा है कि बरुआ चीन-म्यांमार सीमा के नजदीक कहीं छुपा हुआ है। वहीं राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा के गुट ने 2011 में आपरेशन के स्थगित करने का समझौत कर पूर्ण शांति के लिए बातचीत की घोषणा की थी। 12 सालों तक चली लंबी बातचीत के बाद शांति के प्रारूप पर तीनों पक्षों की सहमति बन पाई।

मोदी सरकार के आने के बाद और खासतौर पर अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न भागों में लंबे समय से चल रहे संघर्ष का हल निकालकर स्थायी शांति स्थापित करने की प्रक्रिया तेज हुई है। परिणाम स्वरूप विभिन्न तरह की हिंसा में लगभग तीन-चौथाई की कमी आई है।

उग्रवादी गुटों से जुड़े 8900 से अधिक सशस्त्र कैडर के आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लौटने के बाद बड़े इलाके को अफस्पा से मुक्त कर दिया गया है। मोदी सरकार का उद्देश्य पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति और सुरक्षा के साथ ही विकास की मुख्य धारा से लोगों को जोड़ना है तािक लोगों को आत्मनिर्भरता व राेजगार के अवसरों से जोड़ा जा सके। इससे लोगों के लिए जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा।

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