अगर 'घर पर नकदी' का दावा झूठा निकला तो यह आरोप दुखद : हरीश साल्वे


नई दिल्ली, 21 मार्च (आईएएनएस)। भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने शुक्रवार को कहा कि अगर दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर से नकदी की कथित बरामदगी का प्रकरण झूठा निकला तो यह आरोप एक त्रासदी होगी।

साल्वे ने कहा, “यह कितनी दुखद बात है। अगर यह आरोप झूठा है, पर एक बहुत अच्छे न्यायाधीश की छवि तुरंत धूमिल हो जाती है।”

उन्होंने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को एक पेशेवर व्यक्ति बताया, जो ‘घर पर नकदी’ विवाद के केंद्र में हैं।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “जस्टिस वर्मा सबसे वरिष्ठ जजों में से एक हैं। मैं हमेशा से उनका प्रशंसक रहा हूं। जब मैंने यह रिपोर्ट पढ़ी तो मैं हतप्रभ रह गया।”

साल्वे ने बताया कि दिल्ली अग्निशमन प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा है कि 14 मार्च को न्यायाधीश के बंगले में आग लगने की सूचना के बाद, अग्निशमन कर्मियों द्वारा वहां से नकदी बरामद नहीं की गई। उन्होंने इसे “अजीब और संदिग्ध” स्थिति बताया।

न्यायमूर्ति वर्मा को सच्चा पेशेवर बताते हुए साल्वे ने कहा, “अब आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता यही है कि उनका तबादला स्थगित कर दिया जाए और जांच का आदेश दिया जाए।”

यह पूछे जाने पर कि क्या न्यायमूर्ति वर्मा को जांच लंबित रहने तक अदालत में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए, उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि वह कुछ दिन की छुट्टी लेंगे और उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय को इस बात की जांच का आदेश देना चाहिए कि क्या उनके घर से कोई धन बरामद हुआ है।”

उन्होंने सुझाव दिया कि तीन सदस्यीय जांच पैनल में एक न्यायाधीश और दो अन्य सदस्य शामिल हो सकते हैं।

कानूनी पेशे में अपने साढ़े चार दशकों के दौरान न्यायपालिका के खिलाफ इसे सबसे घिनौना आरोप बताते हुए साल्वे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर से नकदी बरामद होने की इतनी घिनौनी कहानी सुनी है।”

उन्होंने कहा, “मैं आपको बता दूं कि जस्टिस वर्मा सबसे वरिष्ठ जजों में से एक हैं। मैं हमेशा से उनका प्रशंसक रहा हूं। जब मैंने यह खबर पढ़ा तो मैं स्तब्ध रह गया। इसलिए अगर यह घटना न्यायपालिका में मेरा विश्वास को डगमगाता है, तो निश्चित रूप से यह न्यायपालिका में आम आदमी के विश्वास को भी हिला देगा।”

–आईएएनएस

एकेएस/सीबीटी


Show More
Back to top button