मैं स्वयं किसान परिवार से हूं, किसान का दर्द जानता हूं : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह


देहरादून, 6 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को देहरादून के डोईवाला ब्लॉक अंतर्गत पाववाला सौड़ा गांव में आयोजित किसान चौपाल में भाग लिया। खेतों के मध्य खाट पर बैठकर उन्होंने किसानों से आत्मीय संवाद किया और जमीनी स्तर की समस्याओं को समझा। इस दौरान उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पौधरोपण भी किया।

इस अवसर पर उत्तराखंड सरकार के कृषि मंत्री गणेश जोशी सहित कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे। चौपाल में किसानों ने बीज, सिंचाई, विपणन, फसल बीमा योजना और कृषि उत्पादों के उचित मूल्य से जुड़ी अपनी बातें रखीं। लीची, बासमती चावल, कटहल और सब्जी उत्पादकों ने भी अपनी समस्याएं साझा कीं और समाधान हेतु सुझाव दिए।

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार किसानों की आय को दोगुना करने और ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं स्वयं किसान परिवार से हूं, किसान का दर्द जानता हूं। इसी कारण आज सीधे खेत में आकर खाट पर बैठा हूं, ताकि यह जान सकूं कि सरकार की योजनाओं का लाभ जमीन तक पहुंच रहा है या नहीं। किसानों से सीधा संवाद ही उनकी सशक्त भागीदारी सुनिश्चित करता है।

इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों की बताई समस्याओं का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर उत्तराखंड को हार्टिकल्चर (बागवानी) का राष्ट्रीय हब बनाएंगी। उत्तराखंड के फल, अनाज और सब्जियों की गुणवत्ता अद्वितीय है और उनमें वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने की पूरी क्षमता है।

मीडिया से बातचीत करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा पवित्र देवभूमि में आकर मन, बुद्धि और आत्मा एक नई ऊर्जा से भर जाता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही है। भारत सरकार उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करेगी कि यहां के किसानों को न केवल आधुनिक कृषि तकनीकों का लाभ मिले, बल्कि उनके उत्पादों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाज़ार भी उपलब्ध हो।

शिवराज सिंह ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती, तकनीकी नवाचार और जल संरक्षण पर विशेष बल देकर खेती को भविष्य में और अधिक लाभकारी बनाया जाएगा।

–आईएएनएस

एसके/जीकेटी


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