हैदराबाद में जन्मी डॉक्टर अमेरिका में एसीपी फेलोशिप से सम्मानित


पिट्सबर्ग (अमेरिका)/हैदराबाद, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका में रहने वाली और मूल रूप से तेलंगाना की एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. दिव्या सिस्टला को फेलो ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियन (एफएसीपी) की प्रतिष्ठित उपाधि से सम्मानित किया गया है, जो इंटरनल मेडिसिन के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।

यह सम्मान एंडोक्राइनोलॉजी, मेडिकल रिसर्च और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्भुत कार्य के लिए दिया गया है।

डॉ. सिस्टला ने तेलंगाना के कामिनेनी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी। वर्तमान में वह अमेरिका के पेनसिल्वेनिया प्रांत में यूपीएमसी मर्सी हॉस्पिटल में प्रमुख एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और ओबेसिटी मेडिसिन की विशेषज्ञ हैं।

वह इंटरनल मेडिसिन, एंडोक्राइनोलॉजी तथा ओबेसिटी मेडिसिन में बोर्ड-सर्टिफाइड हैं और डायबिटीज, थायरॉइड डिजीज, पीसीओएस, ओस्टियोपोरोसिस तथा कुसिंग्स सिंड्रोम जैसी हार्मोन संबंधी जटिल विसंगतियों के इलाज में महारत के लिए जानी जाती हैं।

अपनी क्लीनिकल भूमिका के साथ ही, डॉ. सिस्टला पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी में क्लीनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर भी काम करती हैं, जहां वह फिजिशियन की अगली पीढ़ी को मॉनिटर करती हैं।

वह मरीज सुरक्षा और फिजिशियन वेलनेस से संबंधित कई समितियों में भी योगदान देती हैं, जो हेल्थकेयर एक्सीलेंस के प्रति उनकी समग्र प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

डॉ. सिस्टला ने कहा कि एफएसीपी हासिल करना एक बेहद सार्थक मील का पत्थर है।

उन्होंने कहा, “अमेरिका में प्रैक्टिस करने वाली भारतीय मूल की फिजिशियन के तौर पर, मैं अपने मरीजों के लिए वैश्विक बेस्ट प्रैक्टिसेज को अपनाकर और देशों के बीच चिकित्सा ज्ञान में सतत सेतु निर्माण कर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।”

एंडोक्राइनोलॉजी में कई विषयों पर उन्होंने अनुसंधान किया है, जिनमें एड्रेनल डिसऑर्डर, पिट्यूट्री डिसऑर्डर और ओबेसिटी शामिल हैं।

उनके अभूतपूर्व अनुसंधानों में टेलीमेडिसिन पर अध्ययन शामिल है, जिसे काफी स्वीकृति मिली है। इसमें डायबिटीज के इलाज में वीडियो कंसल्टेशन के प्रभाव को दिखाया गया है।

इसके अलावा, जर्नल ऑफ द एंडोक्राइन सोसायटी में भी उनका एक अनुसंधान प्रकाशित हुआ है, जिसमें नॉन फंक्शनिंग पिट्यूट्री एडेनोमा की लंबे समय तक स्थिरता को समझने का प्रयास किया गया है।

डॉ. सिस्टला की उपलब्धि भारतीय चिकित्सा समुदाय के लिए गौरव का क्षण है और देशभर के युवा चिकित्सकों तथा अनुसंधानकर्ताओं के लिए प्रेरणा का काम करती है।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम


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