गृह मंत्रालय की टीम ने मणिपुर का दौरा किया, सरकारी अधिकारियों और नेताओं से मुलाकात की


इंफाल, 22 जनवरी (आईएएनएस)। गृह मंत्रालय के सलाहकार ए.के. मिश्रा के नेतृत्व में तीन सदस्यीय केंद्रीय टीम सोमवार को मणिपुर पहुंची और सरकारी अधिकारियों व विभिन्न संगठनों के नेताओं के साथ बैठकें कीं।

अधिकारियों ने बताया कि मिश्रा इंटेलिजेंस ब्यूरो के दो संयुक्त निदेशक मनदीप सिंह तुली और राजेश कुंबले के साथ सोमवार शाम पहुंचे।

अपने आगमन के तुरंत बाद उन्होंने सरकारी अधिकारियों और विभिन्न संगठनों के नेताओं और निर्वाचित नेताओं के साथ कई बैठकें कीं।

एक अधिकारी ने इन बैठकों के बारे में ज्‍यादा जानकारी देने से इनकार करते हुए आईएएनएस को बताया, “गृह मंत्रालय की टीम ने महिला संगठनों और कुछ निर्वाचित नेताओं सहित कुछ मैतेई संगठनों के साथ बैठकें कीं और मणिपुर के मौजूदा हालात पर चर्चा की।”

हिंसा प्रभावित मणिपुर में गृह मंत्रालय की टीम का दौरा महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुछ संगठनों ने धमकी दी है कि अगर सरकार उग्रवादियों और म्यांमार से आए प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

उग्रवादियों ने पिछले कुछ दिनों में हमले कर कम से कम सात लोगों की हत्या कर दी है, जिनमें दो मणिपुर पुलिस कमांडो, चार ग्रामीण और एक ग्राम रक्षा स्वयंसेवक शामिल हैं।

इस बीच, मणिपुर में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में 34 विधायकों, जिनमें से ज्यादातर सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, ने केंद्र सरकार से सशस्त्र उग्रवादी संगठनों के साथ ऑपरेशन के निलंबन (एसओओ) को रद्द करने का आग्रह किया है, अन्यथा विधायक परामर्श से “उचित कार्रवाई” करेंगे।

रविवार को एक बैठक में 34 विधायकों ने एक सर्वसम्मत प्रस्ताव लिया, जिसमें केंद्र सरकार से केंद्र और राज्य सरकारों और 2008 में 23 कुकी उग्रवादी संगठनों के बीच हस्ताक्षरित एसओओ को निरस्त करने का अनुरोध किया गया और 2,266 कुकी कैडर मणिपुर में विभिन्न नामित शिविरों में रह रहे हैं।

मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध कर रहे मणिपुर के ऑल-ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा 3 मई और उसके बाद बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान और उसके बाद 16 में से 10 जिलों में अभूतपूर्व हिंसक झड़पें हुईं, हमले पर जवाबी हमले हुए और सरकारी वाहनों और निजी संपत्तियां और सैकड़ों घर जलाने की घटना देखी गई है।

गैर-आदिवासी मैतेई और आदिवासी कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 190 से अधिक लोग मारे गए हैं और 1,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जबकि दोनों समुदायों के 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/


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