हिमाचल में हिमकेयर योजना बंद, हो रही थी धांधली : कांग्रेस

हिमाचल में हिमकेयर योजना बंद, हो रही थी धांधली : कांग्रेस

शिमला, 5 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने हिम केयर योजना बंद कर दी है। सरकार का कहना है कि इस योजना में बहुत धांधली हो रही थी। 25 हजार में होने वाले हर्निया के ऑपरेशन का बिल एक लाख रुपये तक बनाया गया।

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि पिछली सरकार ने बिना सोचे-समझे हिम केयर योजना शुरू की थी। इसके पीछे निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने की मंशा थी। हमारी सरकार और पूरा प्रदेश बहुत बड़े वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

उन्होंने कहा, जयराम ठाकुर की पिछली सरकार ने आर्थिक स्थिति ठीक करने का कोई प्रयास नहीं किया। इसलिए हालात धीरे-धीरे और खराब होते जा रहे हैं। हमने यह निर्णय किया है कि पिछली सरकार के काम को रिव्यू किया जाए जो उन्होंने बिना सोचे-समझे शुरू कर दिए थे।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता सरकार की आर्थिक स्थिति को ठीक करना है। आज पूरा प्रदेश कर्ज के बोझ में दबा हुआ है। प्रदेश में 146 छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम हैं, जिनका पैसा सरकार को देना है। अगर हम इन पैसों को सरकारी अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर में लगाएंगे तो लोगों को इलाज करवाने के लिए निजी अस्पतालों का रुख नहीं करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता के पैसों के जो लूटने का काम हुआ है अब उसे बंद करने की आवश्यकता है। जनता के टैक्स के पैसों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। हर्निया जैसी बीमारी में लगने वाले 25 हजार तक के खर्च के लिए एक लाख रुपए वसूले जा रहे हैं।

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चिकित्सा विभाग के साथ बैठक कर अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने पर चर्चा की है। पहले बड़े अस्पताल जैसे आईजीएमसी मेडिकल कॉलेज शिमला और टांडा मेडिकल कॉलेज में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा। इसके बाद जिला और ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा। चिकित्सा क्षेत्र को मजबूत करना सरकार की पहली प्राथमिकता है ताकि प्रदेश की जनता को घर के नजदीक ही अच्छा इलाज मिल सके।

उन्होंने कहा कि सीएम के अंदर बड़े फैसले लेने की हिम्मत है। मैं उनके फैसले का स्वागत करता हूं। हमें हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने और कर्ज से बाहर निकालने के लिए आगे भी ऐसे निर्णय लेने की आवश्यकता है।

–आईएएनएस

एसएम/एसकेपी

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