सीएम योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म 'अजेय' पर हाईकोर्ट सख्त, 14 अगस्त को अगली सुनवाई

मुंबई, 7 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित फिल्म ‘अजेय’ को लेकर चल रहे विवाद पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि फिल्म के निर्माता 8 अगस्त तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पुनरीक्षण समिति के सामने अपना आवेदन दें।
बॉम्बे हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और डॉ. नीला गोखले शामिल हैं, ने कहा कि फिल्म के निर्माता 8 अगस्त तक सीबीएफसी की पुनरीक्षण समिति के समक्ष आवेदन करें। इसके बाद समिति 11 अगस्त तक आपत्तिजनक दृश्यों या संवादों की जानकारी निर्माताओं को देगी, और 13 अगस्त तक अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस मामले पर हाईकोर्ट अगली सुनवाई 14 अगस्त को करेगा।
कोर्ट ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि फिल्म की रिलीज में हो रही देरी को रोका जा सके और समय पर प्रमाणन प्रक्रिया पूरी हो।
कोर्ट के इस आदेश से फिल्म निर्माताओं को थोड़ी राहत मिली है।
फिल्म के निर्माताओं ने अपनी याचिका में सीबीएफसी पर मनमाना और गैरकानूनी मांगों के गंभीर आरोप लगाए हैं। याचिका में कहा गया कि फिल्म को सर्टिफिकेट दिलाने के लिए 5 जून को आवेदन किया गया था, लेकिन तय 15 दिनों की समयसीमा बीत जाने के बावजूद सीबीएफसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में, 3 जुलाई को ‘प्राथमिकता योजना’ के तहत तीन गुना शुल्क भरकर दोबारा आवेदन किया गया, जिसके तहत 7 जुलाई को स्क्रीनिंग की तारीख तय हुई थी। हालांकि, यह स्क्रीनिंग एक दिन पहले बिना कोई कारण बताए रद्द कर दी गई।
निर्माताओं का सबसे गंभीर आरोप सीबीएफसी द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) मांगने को लेकर है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की मांग का किसी भी कानून में कोई प्रावधान नहीं है। यह फिल्म की रिलीज में जानबूझकर देरी करने की कोशिश है। उन्होंने इसे अवैध, अनुचित और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है।
‘अजेय’ फिल्म लेखक शांतनु गुप्ता की चर्चित पुस्तक ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ से प्रेरित बताई जा रही है। यह फिल्म योगी आदित्यनाथ के जीवन के अनछुए पहलुओं और महंत से मुख्यमंत्री तक के सफर को समेटे हुए है।
–आईएएनएस
पीके/एबीएम