HC ने याचिका खारिज करते हुए  Twitter पर लगा 50 लाख रुपये का जुर्माना..

HC ने याचिका खारिज करते हुए  Twitter पर लगा 50 लाख रुपये का जुर्माना..

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ट्विटर द्वारा फरवरी 2021 और 2022 के बीच केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दस ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। ट्विटर पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और इसे 45 दिनों के भीतर कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को भुगतान करने का आदेश दिया है।

 कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ट्विटर द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए कई अवरोधन और टेक-डाउन आदेशों को चुनौती दी गई थी। बता दें, ट्विटर द्वारा फरवरी 2021 और 2022 के बीच केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए दस ब्लॉकिंग आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज किया गया है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि कंपनी की याचिका योग्यता से रहित थी। न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित की एकल-न्यायाधीश पीठ ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को निर्धारित किया औरपर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने इसे 45 दिनों के भीतर कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को भुगतान करने का आदेश दिया है।

HC ने कहा है कि उपरोक्त परिस्थितियों में यह याचिका योग्यता से रहित होने के कारण खारिज की जा सकती है। याचिकाकर्ता पर कर्नाटक राज्य को देय 50 लाख रुपये की लागत लगाई जाती है। कानूनी सेवा प्राधिकरण, बेंगलुरु (Karnataka State Legal Services Authority) को 45 दिनों के 50 लाख रुपये भीतर जुर्माना देने को कहा गया है।

यदि देरी को बर्दाश्त किया जाता है, तो इस पर प्रति दिन 5,000 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगेगा। न्यायाधीश ने ट्विटर की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मैं केंद्र के इस तर्क से आश्वस्त हूं कि उनके पास ट्वीट्स को ब्लॉक करने और अकाउंट को ब्लॉक करने की शक्तियां हैं।

ट्विटर ने डाली थी कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका

बता दें, अप्रैल में एलन मस्क के स्वामित्व वाले ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के विभिन्न निष्कासन आदेशों को चुनौती देने वाली उसकी याचिका विचार योग्य है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित भारत का संविधान इस पर लागू था। मार्च में, सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ होने के नाते, माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर की अतिरिक्त जिम्मेदारी थी, और अकाउंट का दडिटेल देना उसका कर्तव्य था।

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