देश में आने वाले महीनों के लिए पेट्रोलियम उत्पादों की पर्याप्त आपूर्ति : हरदीप सिंह पुरी


नई दिल्ली, 14 जून (आईएएनएस) । केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया कि देश में आने वाले महीनों के लिए पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन और एलपीजी जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की पर्याप्त आपूर्ति है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव और भारत के तेल पीएसयू के साथ समय-समय पर समीक्षा की गई है। हमारे पास आने वाले महीनों के लिए पर्याप्त ऊर्जा आपूर्ति है।”

उनका यह बयान राष्ट्रीय तेल विपणन कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के सीएमडी के साथ समीक्षा बैठक के बाद आया। बैठक में पेट्रोलियम सचिव भी मौजूद थे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “भारत की ऊर्जा रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में ऊर्जा उपलब्धता, अफोर्डेबिलिटी और सस्टेनेबिलिटी को सफलतापूर्वक नेविगेट कर आकार लेती है।”

केंद्रीय मंत्री पुरी का यह बयान वैश्विक बाजार में बढ़ती अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में आया है। शुक्रवार को ईरान के परमाणु संयंत्रों और मिसाइल उत्पादन स्थलों पर इजरायल के हमले ने मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया और तेल की कीमतों में 9 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।

बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 6 डॉलर से अधिक बढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल के पांच महीने के उच्चतम स्तर को पार कर गई।

एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान प्रतिदिन लगभग 3.3 मिलियन बैरल (एमबीपीडी) कच्चे तेल का उत्पादन करता है और लगभग 1.5 एमबीपीडी का निर्यात करता है, जिसमें चीन 80 प्रतिशत भागीदारी के साथ मुख्य आयातक है।

ऑयल एंड गैस सेक्टर में इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री पुरी ने पहले कहा था कि देश में अब पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन करने के लिए 23 मॉडर्न ऑपरेशनल रिफाइनरियां हैं, जिनकी कुल क्षमता 257 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है।

केंद्रीय मंत्री ने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के लिए भंडारण सुविधाएं स्थापित करने में मंत्रालय की पहल पर भी प्रकाश डाला, जिसका देश आपातकाल के समय में उपयोग कर सकता है और जो भू-राजनीतिक अनिश्चितता के समय में महत्वपूर्ण हो जाता है।

इन भंडारों का उपयोग ऐसे समय में भी किया जा सकता है जब वैश्विक कीमतें आसमान छूती हैं ताकि राष्ट्रीय तेल कंपनियों को सहारा मिल सके।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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