आतंक का नेटवर्क : पहलगाम हमले से फिर उजागर हुए हमास-पाक संबंध

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (आईएएनएस)। आतंकवादी संगठन हमास और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के बीच घातक गठबंधन, पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर उजागर हुआ।
खुफिया अधिकारियों ने पहलगाम हमले में चार हमलावरों (जिनमें से दो पाकिस्तान से थे) की रणनीति और अक्टूबर 2023 में इजरायल में हमास के बड़े अटैक में आश्चर्यजनक समानताएं पाई हैं।
सूत्रों से पता चला है कि सभी चार आतंकवादियों को पीओके में ट्रेनिंग मिली थी। इस इलाके में हमास ने आतंकी समूहों जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के शिविरों में एक ट्रेनिंग मॉड्यूल स्थापित किया, जिसे पूरी तरह से आईएसआई का समर्थन हासिल है।
फरवरी में, इजरायल की कैद से रिहा किए गए हमास नेताओं ने इस्लामाबाद के न्योते पर पाकिस्तान का दौरा किया था और उन्हें लश्कर और जैश आतंकवादियों से मिलने के लिए पीओके ले जाया गया था। हमास नेताओं को रावलकोट की सड़कों पर घोड़ों पर सवार करके मुक्तिदाताओं के रूप में घुमाया गया।
हमास के प्रवक्ता खालिद अल-कद्दौमी और नाजी जहीर के अलावा हमास नेता मुफ्ती आजम और बिलाल अलसलात रावलकोट रैली में मौजूद थे। रैली में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के भाई तल्हा सैफ और दोनों संगठनों के कई अन्य शीर्ष आतंकवादी कमांडर भी शामिल थे।
‘कश्मीर एकजुटता और हमास ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड’ शीर्षक वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह संदेश देना था कि कश्मीर और फिलिस्तीन दोनों ही पैन-इस्लामिक जिहाद के विषय हैं। इस दौरान भारत और इजरायल के खिलाफ एकजुट होने की अपील की गई।
इजराइली राजदूत ने भी क्षेत्र में अशांति को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादी संगठनों के साथ पाकिस्तान की सांठगांठ पर अपनी चिंता व्यक्त की थी।
भारत में इजरायल के राजदूत रियुवेन अजार ने 26 फरवरी, 2025 को आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “दुर्भाग्य से, आतंकवादी संगठन नेटवर्क में काम करते हैं और कई बार वे एक-दूसरे को समर्थन देने के तरीके ढूंढ लेते हैं, जो न केवल हमारे क्षेत्र के लिए, बल्कि कई देशों के लिए हानिकारक होता है।”
अजार ने कहा, “उदाहरण के लिए, कुछ सप्ताह पहले ही पीओके में हमास के नेताओं की एक बैठक हुई थी, जो यह बताती है कि किस तरह ये आतंकवादी संगठन एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे हैं… जाहिर है, वे अपने साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहयोग कर रहे हैं, जो हमें और आपको आतंकित करना है। इसलिए, यह ऐसी चीज है जिस पर हमें ध्यान देना होगा।”
अजार ने गुरुवार को कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और 7 अक्टूबर को 2023 में हुए नरसंहार के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि हमास के आतंकवादियों को पाकिस्तान में आमंत्रित किया जाना भविष्य के लिए एक बुरा संकेत है।
अजार ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, “यह एक क्रूर और बर्बर हमला है। यह चौंकाने वाला है। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। हम जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करना चाहिए, न केवल अपराधियों को पकड़ने के लिए बल्कि ऐसी घटनाओं को फिर से होने से रोकने के लिए भी।”
उन्होंने गुरुवार को कहा, “आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, उसे संदर्भों में नहीं रखा जा सकता, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह तथ्य कि हमास के आतंकवादियों को पाकिस्तान में आमंत्रित किया गया, आने वाले समय के लिए एक बुरा संकेत है, क्योंकि ये आतंकवादी एक-दूसरे की नकल कर रहे हैं, एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे हैं, और हमें उनके खिलाफ खुद का बचाव करना होगा।”
इजरायली राजदूत ने कहा, “स्थिति वही है जिसमें लोग संगीत समारोह में जा रहे थे और उनका नरसंहार किया गया, यहां लोग छुट्टी पर थे और उनका नरसंहार किया गया। यह मृत्यु पंथ है, धर्म की विकृत व्याख्या, वर्चस्ववादी विचार – लोग सोचते हैं कि मानवता के हर मानदंड का उल्लंघन करके, वे कुछ हासिल कर लेंगे। यह ऐसी चीज है जिसे पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। यही कारण है कि इजरायल ने हमास पर हमला करने का संकल्प लिया। हम अपने सिद्धांतों, अपने कानूनों और अपने मूल्यों की रक्षा करते हुए ऐसा करना जारी रखेंगे। और मुझे यकीन है कि भारत भी ऐसा ही करने जा रहा है
–आईएएनएस
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