एनसीआरटीसी की हरित पहल, यूपी में बनेगा 110 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्लांट, नमो भारत कॉरिडोर को मिलेगी स्वच्छ बिजली


गाजियाबाद, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर को और अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने के उद्देश्य से एनसीआरटीसी उत्तर प्रदेश में 110 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट का निर्माण करने जा रहा है। यह परियोजना हरित और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ-साथ शहरी परिवहन प्रणाली को टिकाऊ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

इस सौर ऊर्जा प्लांट के निर्माण का कार्य भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के अधीन केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसी) को सौंपा गया है। एनएलसी इंडिया लिमिटेड का चयन ओपन टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है। परियोजना को अगले 24 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके चालू होने के बाद अनुमान है कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर की कुल विद्युत आवश्यकता का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा इसी सौर ऊर्जा प्लांट से पूरा किया जा सकेगा। यह परियोजना देश में आरआरटीएस और मेट्रो ट्रांजिट सिस्टम के क्षेत्र में कैप्टिव सोलर पावर प्लांट की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

इसके अंतर्गत एनसीआरटीसी और एनएलसी इंडिया लिमिटेड के संयुक्त उद्यम के माध्यम से उत्तर प्रदेश में यह सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किया जाएगा। प्लांट को प्रदेश की विद्युत ग्रिड से जोड़ा जाएगा, जिसके माध्यम से नमो भारत कॉरिडोर पर स्थित रिसीविंग सब-स्टेशनों (आरएसएस) तक बिजली की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद पूरे कॉरिडोर को इसी स्वच्छ ऊर्जा से विद्युत उपलब्ध कराई जाएगी। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी यह परियोजना बेहद अहम है।

अनुमान के अनुसार इस पहल से प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख 77 हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे न केवल ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव घटेगा, बल्कि स्वच्छ और सतत शहरी परिवहन को भी बढ़ावा मिलेगा। एनसीआरटीसी के अनुसार नमो भारत कॉरिडोर के संचालन में विद्युत व्यय एक बड़ा खर्च है। कुल परिचालन लागत का लगभग 30 से 35 प्रतिशत हिस्सा बिजली पर खर्च होता है। सौर ऊर्जा प्लांट के चालू होने के बाद विद्युत व्यय में लगभग 25 प्रतिशत तक की कमी आने की उम्मीद है, जिससे आर्थिक रूप से भी यह परियोजना लाभकारी सिद्ध होगी।

यह पहल राष्ट्रीय सौर मिशन के उद्देश्यों के अनुरूप है और परिवहन क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में एक सशक्त कदम है। सौर ऊर्जा आधारित प्रणाली जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न बिजली की तुलना में नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं करती, जो वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारण हैं। इससे दिल्ली–एनसीआर क्षेत्र में स्वच्छ हवा और बेहतर जीवन गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा। एनसीआरटीसी की यह हरित पहल भविष्य में अन्य शहरी और क्षेत्रीय परिवहन परियोजनाओं के लिए भी एक मॉडल बन सकती है और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए प्रेरणा का स्रोत सिद्ध होगी।

–आईएएनएस

पीकेटी/डीकेपी


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