अमेरिका से 388 निर्वासित भारतीय देश लौटे, सरकार ने संसद में दी जानकारी


नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि इस साल जनवरी से अब तक कुल 388 निर्वासित लोग अमेरिका से भारत पहुंचे हैं। इनमें से 333 लोग तीन निर्वासन उड़ानों के माध्यम से अमृतसर पहुंचे और 55 भारतीय नागरिक वाणिज्यिक उड़ानों से पनामा के रास्ते अमेरिका से नई दिल्ली पहुंचे।

आंकड़ों से पता चलता है कि तीन निर्वासन उड़ान जो 5 फरवरी, 15 फरवरी और 16 फरवरी को उतरीं, उनमें भारत पहुंचे 333 निर्वासितों में से 126 लोग (38 प्रतिशत) पंजाब के हैं।

इसके अलावा, 110 लोग (33 प्रतिशत) हरियाणा के हैं, जबकि 74 गुजरात के, आठ उत्तर प्रदेश के और अन्य महाराष्ट्र, चंडीगढ़, गोवा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के थे।

वाणिज्यिक उड़ानों से पनामा के रास्ते अमेरिका से नई दिल्ली पहुंचे 55 भारतीय निर्वासितों में से 27 पंजाब के और अन्य हरियाणा (22), उत्तर प्रदेश (तीन), गुजरात (दो) और राजस्थान (एक) के थे।

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि विदेश मंत्रालय ने निर्वासितों पर प्रतिबंधों के उपयोग पर अपनी चिंताओं को ‘दृढ़ता से दर्ज’ किया है।

उन्होंने कहा, “भारत सरकार निर्वासन अभियान के दौरान भारतीय नागरिकों के साथ मानवीय व्यवहार की आवश्यकता के संबंध में अमेरिकी पक्ष के साथ बातचीत कर रही है। मंत्रालय ने 5 फरवरी को उतरने वाले विमान में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, विशेषकर महिलाओं पर बेड़ियों के प्रयोग के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताएं दृढ़तापूर्वक दर्ज कराई हैं। निर्वासन को व्यवस्थित करने और निष्पादित करने के लिए नवंबर 2012 से प्रभावी अमेरिकी मानक संचालन प्रक्रिया में निर्वासित लोगों पर प्रतिबंधों के प्रयोग की बात कही गई है।”

उन्होंने कहा, “अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि महिलाओं और नाबालिगों को आमतौर पर बेड़ियां नहीं लगाई जाती हैं, लेकिन निर्वासन उड़ान के प्रभारी फ्लाइट अधिकारी का इस मामले में अंतिम निर्णय होता है।”

निर्वासन उड़ानों के लिए अमृतसर को लैंडिंग स्थल के रूप में चुनने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि निर्वासितों को ले जाने वाली किसी भी प्रत्यावर्तन उड़ान के लिए लैंडिंग स्थल का निर्णय परिचालन सुविधा, भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश के लिए विशिष्ट मार्ग और विशेष रूप से आने वाले निर्वासितों के अंतिम गंतव्यों की निकटता के आधार पर किया जाता है।

–आईएएनएस

पीएसके/एकेजे


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