नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ. चिन्मय पंड्या ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत की। उन्होंने भारत की नदियों, दिल्ली में यमुना प्रदूषण सहित अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि भारत में नदियां केवल भौगोलिक विशेषताएं नहीं हैं, उनका महत्व आध्यात्मिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक है। मानवता का अस्तित्व और भावी पीढ़ियों के लिए विरासत महत्वपूर्ण है। भारत की नदियों को बचाने, संरक्षित करने और पोषित करने के आज के प्रयासों में गायत्री परिवार सहित 500 से अधिक संगठन शामिल हैं, जो समाज को एक नई दिशा में मार्गदर्शन करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
नदियों को लेकर सरकार भी मुहिम चला रही है। इस पर जब उनसे प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नदियों को स्वच्छ करने का बहुत ही गंभीर कार्य किया जा रहा है। निश्चित तौर पर भविष्य में इसके परिणाम भी देखने को मिलेंगे। इसमें सभी के सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है। इसमें गैर सरकारी संगठन को भी साथ आना चाहिए। हर व्यक्ति के सहयोग की जरूरत है। क्योंकि, इसके बिना परिणाम नहीं मिल सकता है।
दिल्ली में यमुना के प्रदूषण पर उन्होंने कहा कि यमुना की सफाई हमारे प्रयत्न में है। किसी अन्य जगह पर सफल प्रयोग कर देखा जाए, तो दूसरी जगह पर इसकी पुनरावृत्ति संभव है। बनारस में जो वशिष्ठ नदी है, वहां पर हम लोगों ने इस कार्य को किया। गोमती नदी के पास हमने यह कार्य किया। लेकिन, जो बड़ी नदियां हैं, जो भारत के बड़े भू-भाग को घेरती हैं। वहां पर इस कार्य को करने के लिए सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता होगी। आज इसी संदर्भ में यह कार्यक्रम किया जा रहा है।
–आईएएनएस
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