नई दिल्ली, 3 नवंबर (आईएएनएस)। एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत और पाकिस्तान में सरकारी हस्तक्षेप से फसल जलाने की अवैध प्रथा को रोकने और दक्षिण एशिया में गंभीर वायु प्रदूषण को कम करने में मदद सकती है।
अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जेम्मा डिपोप्पा के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन के अनुसार, फसल जलाने के कारण बढ़ने वाला वायु प्रदूषण हर साल दक्षिण एशिया में 20 लाख लोगों की जान लेता है और यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति बन चुका है।
शोधकर्ताओं ने फसल जलाने से होने वाले प्रदूषण का शिशु और बाल मृत्यु दर पर असर भी देखा और अनुमान लगाया कि अगर फसल जलाने की घटनाओं को कम किया जाए तो प्रति 1,000 बच्चों में 1.5 से 2.7 बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डिपोप्पा ने कहा, “यह स्पष्ट तौर पर स्वास्थ्य आपातकाल है, और हमने सोचा, ‘सरकार लोगों के लिए हानिकारक चुनौती का सामना क्यों नहीं कर पा रही है?”
डिपोप्पा ने आगे कहा कि हमने सरकारी हस्तक्षेप के पहलू और विशेष रूप से राज्य के प्रशासन का अध्ययन करने का फैसला किया है। डिपोप्पा ने अपने सह-लेखक प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के साद गुलजार के साथ, हवा, आग और स्वास्थ्य के दस वर्षों के डेटा का विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में संबंधित सरकारी अधिकारी तब एक्शन लेते हैं जब प्रदूषण उनके अपने क्षेत्र में होने लगता है। अपने अपने प्रभार से बाहर के क्षेत्रों के प्रदूषण को लेकर सक्रिय नहीं होते।
अध्ययन में पाया गया कि जब हवा प्रदूषण को पड़ोसी क्षेत्रों की ओर ले जाने की संभावना सबसे अधिक होती है, तो फसल जलाने से होने वाली आग में 15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। और जब हवा प्रदूषण को अपने ही क्षेत्र में फैलाती है, तो आग में 14.5 प्रतिशत की कमी आती है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि सरकार द्वारा नियम तोड़ने वालों पर लगाए गए जुर्माने ने भविष्य में फसल जलाने वालों को हतोत्साहित किया और आग की घटनाओं को 13 प्रतिशत और कम किया। यह इस सामान्य धारणा के विपरीत था कि यह समस्या नियंत्रण से बाहर है।
डिपोप्पा ने बताया, “सरकारी अधिकारी पहले से ही इस मुद्दे पर कदम उठा रहे हैं, लेकिन वे इसे तभी करते हैं जब उनके अपने क्षेत्र में प्रदूषण का असर होता है, न कि पड़ोसी क्षेत्रों में।”
यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि सरकारी अधिकारी फसल जलाने को रोक सकते हैं। लेखकों का कहना है कि अगर उन्हें अधिक संसाधन मिले तो वे प्रदूषण को और अधिक हद तक कम कर सकते हैं।
–आईएएनएस
एएस