गाजियाबाद: राजनगर इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, सुबह से लगी लाइन


गाजियाबाद, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। गोवर्धन पूजा पूरे देश के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जो भक्त इस दिन मथुरा जाकर गिरिराज की परिक्रमा करने में असमर्थ हैं, उनके लिए गाजियाबाद के राजनगर स्थित इस्कॉन मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यहां भक्त गोवर्धन महाराज की पूजा कर और परिक्रमा कर अपनी मनोकामनाएं कर रहे हैं।

राजनगर इस्कॉन मंदिर में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव के साथ आयोजित किया जा रहा है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर भक्तों की रक्षा करने के उपलक्ष्य में उनकी पूजा की जाती है।

मंदिर के उपाध्यक्ष धनंजय दास ने बताया, “हर वर्ष की भांति इस साल भी मंदिर में अन्नकूट से गोवर्धन का भव्य स्वरूप तैयार किया गया है। इसमें मीठे चावल, हलवा, विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, मिठाइयां और नमकीन व्यंजन शामिल हैं। इस वर्ष विशेष रूप से ढाई क्विंटल चावल, एक क्विंटल हलवा और कई प्रकार की सब्जियां बनाकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित की गईं।”

उन्होंने कहा, “मंदिर परिसर में 10 फुट के विशाल गोवर्धन महाराज बनाए गए हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ है। श्रद्धालु पूरे दिन भक्ति गीतों पर झूमते, नाचते और हरिनाम का कीर्तन करते दिखाई दे रहे हैं।”

धनंजय दास ने कहा, “गोवर्धन पूजा के अवसर पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। सुबह से ही भक्तगण भगवान श्री गिरिराज की कथा और कीर्तन में लगे हुए हैं। अंदर अन्नकूट के प्रसाद से भव्य गोवर्धन पर्वत बनाया गया है, जिसमें मीठे चावल, खीर, हलवा, सब्जी, मिठाइयां और मठरी शामिल हैं।”

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, श्रद्धालु रात 12 बजे तक मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। हर साल यहां गोवर्धन पूजा के अवसर पर लगभग 50 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, विशेषकर वे जो मथुरा जाने में सक्षम नहीं होते। पूजा संपन्न होने के बाद, भगवान को अर्पित किया गया अन्नकूट भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा।

गोवर्धन पूजा की यह परंपरा द्वापर युग से जुड़ी है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा के बजाय प्रकृति और गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया। इससे इंद्र देव क्रोधित हो गए और भारी वर्षा करने लगे। श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी ब्रजवासियों और गोवंश की रक्षा की थी।

–आईएएनएस

एसएके/एबीएम


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