नई दिल्ली, 23 जनवरी (आईएएनएस)। बैंकों द्वारा जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेनएआई) पर खर्च 2024 में वैश्विक स्तर पर 6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 में 85 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो कि 1,400 प्रतिशत की वृद्धि है। इसका दावा मंगलवार को एक रिपोर्ट में किया गया।
जुनिपर रिसर्च के अनुसार, लीडिंग बैंक पर्सनलाइज यूजर एक्सपीरियंस प्रदान करने के लिए जेनेरिक एआई सर्विस को अपनाएंगे, जिससे वे कम लागत पर तेजी से आकर्षक सर्विस प्रदान करने में सक्षम होंगे।
रिसर्च के सह-लेखक निक मेनार्ड ने कहा, ”ऑपरेशन्स के केंद्र में एआई का उपयोग करने से बैंक लागत कम करते हुए एक अलग और पर्सनलाइज यूजर एक्सपीरियंस प्रदान करने में सक्षम होंगे। आज एआई को प्राथमिकता नहीं देने से, बैंकों को प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ने का जोखिम है।”
जेनरेटिव एआई प्लेटफॉर्म ट्रेनिंग डेटा से पैटर्न और स्ट्रक्चर सीखते हैं, और टेक्स्ट, इमेज और अन्य मीडिया बना सकते हैं।
रिसर्च में पाया गया कि जेनरेटिव एआई पर्सनलाइज स्पेंडिंग इनसाइट्स और कस्टमर्स ट्रेंड्स तक आसान पहुंच प्रदान करके बैंकों में व्यापक बदलाव को सक्षम करेगा। बैंक तेजी से एआई-केंद्रित रणनीति की ओर बढ़ेंगे।”
रिपोर्ट में कहा गया है, “बैंकों को समझना होगा कि निवेश अब जेन एआई के लिए महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि बैंकों के पास उच्चतम-मूल्य वाले उपयोग के मामले बनाने के लिए पर्याप्त समय है। जैसे कि कस्टमर सर्विस और बैक-ऑफिस भूमिकाओं में जेन एआई का उपयोग। यह निवेश बैंकों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा, क्योंकि उनकी लागत कम हो जाएगी और एक्सपीरियंस में बदलाव के साथ यूजर की उम्मीदें भी कम हो जाएंगी।”
–आईएएनएस
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