गौतम अदाणी की वर्क-लाइफ बैलेंस पर सोच काफी 'रोचक' : हर्ष गोयनका


नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी की वर्क-लाइफ बैलेंस पर सोच काफी ‘रोचक’ है। यह बयान आरपीजी ग्रुप के चेयरपर्सन हर्ष गोयनका ने दिया है।

गोयनका ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर गौतम अदाणी द्वारा दिए गए बयान का वीडियो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया।

इस वीडियो में गौतम अदाणी वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर कह रहे हैं कि यह एक पर्सनल चॉइस है। इसमें वह वर्क-लाइफ बैलेंस हासिल करने के लिए अपने काम का आनंद लेने पर जोर दे रहे हैं।

गौतम अदाणी ने कहा, “आपका वर्क-लाइफ बैलेंस का आइडिया मुझ पर लागू नहीं होता है और मेरा आप पर लागू नहीं होता है। मान लीजिए, कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ 4 घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है। वहीं, कोई अन्य व्यक्ति 8 घंटे बिताता है और उसमें आनंद पाता है, तो यह उनका वर्क-लाइफ बैलेंस है।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर कोई 8 घंटे अपने परिवार के साथ बिताता है तो बीवी भाग जाएगी।”

देश में इस समय काम के घंटों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसे सबसे पहले इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने शुरू किया था, जिसमें उन्होंने कहा कि लोगों को कम से कम हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए।

ज्यादा काम के घंटों की वकालत करने वालों में हाल ही में एलएंडटी चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का नाम जुड़ा है। उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि प्रतिस्पर्धी रहने के लिए हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए।

सुब्रह्मण्यन ने कहा, “ईमानदारी से कहूं तो मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपको रविवार को काम करवा पाऊं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।”

सुब्रह्मण्यन ने आगे कहा, “घर पर छुट्टी लेने से कर्मचारियों को क्या फायदा होता है। आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं? पत्नियां अपने पतियों को कितनी देर तक निहार सकती हैं? ऑफिस जाओ और काम करना शुरू करो।”

लंबे समय तक काम करने के विचार को कई इंडस्ट्री लीडर्स ने सराहा भी है और विरोध भी किया है।

ओला के सीईओ भाविश अग्रवाल ने मूर्ति के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए वर्क-लाइफ बैलेंस की अवधारणा को “पश्चिम से प्रभावित” बताया।

जोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बू ने कहा कि 70 घंटे के कार्य सप्ताह के पीछे तर्क यह है कि “यह आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।”

दूसरी ओर, एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स की कार्यकारी निदेशक – भारत बिजनेस, नमिता थापर ने जोर देकर कहा कि इस बहस में नियमित कर्मचारियों और संस्थापकों जैसे उच्च-स्तरीय पक्षकारों के बीच अंतर किया जाना चाहिए।

बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने कहा कि काम की गुणवत्ता मायने रखती है, घंटे नहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि हफ्ते में 90 घंटे काम की शुरुआत टॉप लेवल से होनी चाहिए।

–आईएएनएस

एबीएस/एबीएम


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