वाराणसी में गंगा का उफान, नमो घाट भी बाढ़ की चपेट में, प्रशासन अलर्ट

वाराणसी, 9 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में गंगा नदी ने एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाया है। लगातार हो रही पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं।
इसका सबसे ज्यादा असर वाराणसी में देखा जा रहा है, जहां गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु (70.26 मीटर) को पार कर चुका है और खतरे के निशान (71.26 मीटर) के करीब पहुंच गया है।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, मंगलवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 70.98 मीटर दर्ज किया गया, जो प्रतिघंटे लगभग 1 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 24 घंटों में यह और ऊपर चढ़ सकता है।
शहर के कुल 85 घाटों में से अधिकांश पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। अस्सी घाट से लेकर दशाश्वमेध, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट तक सभी पर गंगा का पानी है। घाटों के बीच का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, जिससे एक घाट से दूसरे पर जाना असंभव हो गया है।
घाट पर ‘नमस्कार’ आकृति वाली विशाल प्रतिमा भी डूब चुकी है। घाट का प्लेटफॉर्म, सीढ़ियां और आसपास के क्षेत्र सब पानी में समा गए हैं। नमो घाट पर नीचे जाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। यहां सेल्फी पॉइंट और अन्य सुविधाएं बंद हैं।
बाढ़ का असर केवल घाटों तक सीमित नहीं है। गंगा के बढ़ते जलस्तर से वरूणा नदी में भी पलट प्रवाह हो गया है, जिसके कारण शहर के निचले इलाकों नगवा, संगमपुरी कॉलोनी और बस्ती में पानी घुस आया है। करीब 24 मोहल्ले और 44 गांव प्रभावित हो चुके हैं। हजारों लोग अपने घर छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं।
बीएचयू के पास नगवा नाले से पानी भरने से रामेश्वर मठ और आसपास के इलाके जलमग्न हो गए। गंगोत्री विहार कॉलोनी में 12 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। कुल 1,410 परिवार विस्थापित हो चुके हैं और 6,376 लोग प्रभावित हैं। फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है, 6,244 किसानों की 1,721 एकड़ जमीन डूब चुकी है।
–आईएएनएस
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