सिल्ट और कूड़े‑कचरे से खतरे में सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य, तुरंत एक्शन की मांग


डिब्रूगढ़, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में मौजूद सुंदर झील सांगेत्सर त्सो का भविष्य असमंजस में है। यह झील समुद्र तल से करीब 12,000 फीट (लगभग 3,708 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। सांगेत्सर त्सो, जिसे माधुरी लेक भी कहा जाता है, कई दुर्लभ और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण वेटलैंड है।

वर्तमान में झील में लगातार गाद (सिल्ट) जमा हो रही है और आसपास के इलाकों से कूड़ा‑कचरा बढ़ रहा है, जिससे यह इकोलॉजिक रूप से महत्वपूर्ण वेटलैंड सिकुड़ रहा है और इसका नाजुक पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हो रहा है। इस वजह से संरक्षणवादियों ने अधिकारियों से अपील की है कि इस झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा (रामसर स्थल) के लिए नामित किया जाए, ताकि इसे बचाया जा सके।

रेंजर फेडरेशन ऑफ एशिया के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय रेंजर फेडरेशन के सदस्य बंटी ताओ ने कहा कि झील की पारिस्थितिक नींव खतरे में है क्योंकि गाद के जमाव और नॉन‑बायोडिग्रेडेबल कचरे से सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंच रहा है, जो कई पक्षियों की खाद्य शृंखला का आधार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूडी शेल्डक और अन्य उच्च‑ऊंचाई पर रहने वाली पक्षी प्रजातियां प्रजनन के लिए ऐसी झीलों पर निर्भर हैं, और झील के खो जाने का गंभीर पारिस्थितिक परिणाम हो सकता है।

ताओ के अनुसार, सांगेत्सर त्सो पूरी तरह से विश्व स्तर पर महत्व रखने वाले वेटलैंड के मानदंडों को पूरा करता है और इसे रामसर साइट के रूप में नामित किया जाना चाहिए, क्योंकि भारत रामसर कन्वेंशन (1971) का अनुबंधकर्ता देश है। यह झील प्रवासी पक्षियों के सर्दियों के आवास और प्रजनन के लिए एक अहम स्थल है।

संरक्षणवादी और बर्डिंग गाइड लोबसांग त्सेरिंग ने कहा कि तवांग जिले की झीलें कई प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं, जैसे रूडी शेल्डक, व्हाइट‑थ्रोटेड डिपर, व्हाइट‑थ्रोटेड रेडस्टार्ट, व्हाइट‑विंग्ड रेडस्टार्ट और गोल्डक्रेस्ट। उन्होंने आगाह किया कि ये वेटलैंड सर्दियों की शरणस्थली और प्रजनन स्थल हैं, और यदि इनका ध्यान नहीं रखा गया तो पक्षी वापस आना बंद कर सकते हैं।

अभी झील में गाद नियंत्रण के कोई प्रभावी उपाय नहीं हैं, और आसपास के खाने‑पीने की जगहों तथा पर्यटकों से निकलने वाला कचरा स्थिति को और बिगाड़ रहा है। संरक्षणवादी मांग कर रहे हैं कि इस झील को बचाने के लिए संबंधित अधिकारियों को तुरंत परियोजना शुरू करनी चाहिए, जिसमें नुकसान को कम करने के ठोस उपाय शामिल हों।

–आईएएनएस

एएमटी/डीकेपी


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