पुरी रथ यात्रा के दौरान अदाणी और इस्कॉन की सेवा में नि:शुल्क बंटा श्रद्धा और स्वाद का प्रसाद


पुरी, 30 जून (आईएएनएस) पुरी में पवित्र भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में भारत की आध्यात्मिक संस्कृति की पूर्ण छवि देखने को मिलती है, जिसमें देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन 2025 में भक्ति, सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी के एक शक्तिशाली संगम के साथ आस्था के इस भव्य उत्सव की गूंज और भी गहरी हो गई।

इस साल अदाणी समूह और इस्कॉन के बीच एक अनूठा सहयोग देखने को मिला, जिन्होंने पुरी शहर में हजारों भक्तों को मुफ्त प्रसाद भोजन परोसने के लिए हाथ मिलाया। यह भोजन सेवा के एक साधारण कार्य के रूप में शुरू हुआ और शारीरिक एवं आध्यात्मिक दोनों तरह से पोषण के जरिए एक दिल को छू लेने वाले अनुभव में बदल गया।

ताजा पकाए गए और प्यार से परोसे गए इस प्रसाद में गर्म चावल और नरम रोटियां, मौसमी मिश्रित सब्जियां, प्रोटीन युक्त दाल पायसम, मीठे गुलाब जामुन, हलवा और ठंडा दही चावल शामिल थे।

मेन्यू सिर्फ स्वाद के बारे में नहीं था, बल्कि इसे गर्मी की तपिश में लंबी दूरी तक पैदल चलने वालों की पोषण संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था। प्रत्येक प्लेट में औसतन 700-900 कैलोरी, 20 ग्राम से ज्यादा प्रोटीन और फाइबर, विटामिन और जरूरी खनिजों का एक स्वस्थ मिश्रण होता है, जो इसे हर तीर्थयात्री के लिए एक पौष्टिक और संतुलित भोजन बनाता है।

प्रसाद वितरण का पैमाना इसके उद्देश्य जितना ही प्रभावशाली था। तालाबानिया बस स्टैंड, पुरी रेलवे स्टेशन, गुंडिचा मंदिर के पास, स्वर्गद्वार जंक्शन, बगला धर्मशाला, दिगबरनी पार्किंग और दूधवाला धर्मशाला जैसे प्रमुख स्थानों को अदाणी समूह ने जीवंत सेवा केंद्रों में बदल दिया गया, जहां स्वयंसेवकों ने विनम्रता और शालीनता के साथ भोजन परोसा। इन केंद्रों पर सुबह से देर शाम तक तीर्थयात्रियों का आना-जाना जारी रहा और प्रसाद का प्रवाह भी निरंतर जारी रहा, प्रत्येक भोजन ईश्वरीय आतिथ्य का प्रतीक था।

इस पहल को और भी सराहनीय बनाने वाली बात स्वच्छता और पर्यावरण पर ध्यान देना था। इस सेवा में किसी भी थर्मोकोल या प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया, इसके बजाय बायोडिग्रेडेबल पेपर प्लेट उपलब्ध कराई गई हैं। सेवा करते समय स्वयंसेवकों ने दस्ताने पहने थे, और उचित अपशिष्ट निपटान के लिए प्रत्येक स्थान पर बड़े पॉलीथीन बैग की व्यवस्था की गई थी। यह केवल भोजन परोसना नहीं था, यह गरिमा, अनुशासन और भक्ति का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र था।

रथ यात्रा के दौरान, जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा के साथ अपने रथ में शहर से यात्रा करते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि भगवान बिना किसी भेदभाव के आशीर्वाद देने के लिए आगे बढ़ते हैं। इस भावना को प्रतिबिंबित करते हुए, अदाणी-इस्कॉन पहल ने सुनिश्चित किया कि हर आत्मा, अमीर या गरीब, स्थानीय या आगंतुक, को समान सेवा मिले।

इस प्रयास ने दिखाया कि कैसे आध्यात्मिक संस्थान और जिम्मेदार निगम धार्मिक अनुष्ठानों से परे एक स्थायी प्रभाव पैदा करने के लिए एक साथ आ सकते हैं। सेवा के रूप में भोजन की पेशकश करके, अदाणी और इस्कॉन ने दिखाया है कि सच्ची भक्ति दूसरों की निस्वार्थ सेवा करने में निहित है।

पुरी में 2025 की रथ यात्रा न केवल दिव्य जुलूस के लिए याद की जाएगी, बल्कि प्रसाद की गर्म थालियों के लिए भी याद की जाएगी, जिसने शरीर को पोषण दिया, आत्मा को ऊपर उठाया और करुणा की छत्रछाया में हजारों लोगों को एकजुट किया।

–आईएएनएस

एबीएस/


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