चार साल ग्रेजुएशन के बाद एक साल का होगा PG कोर्स, BE-Btech के लिए नियम अलग

चार साल ग्रेजुएशन के बाद एक साल का होगा PG कोर्स, BE-Btech के लिए नियम अलग

ग्रेजुएशन के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अब पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) को लेकर भी नया फ्रेमवर्क जारी किया है। जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप है। जिसमें छात्रों को बीच में कभी भी पढ़ाई छोड़ने और शुरू करने का विकल्प मिलेगा।

नए फ्रेमवर्क के तहत बीई-बीटेक को छोड़ बाकी चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने वाले छात्रों के लिए परास्नातक कोर्स एक साल का होगा। इसके लिए छात्रों को 260 क्रेडिट अंक जुटाने होंगे। वहीं एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा पर छात्रों को 240 क्रेडिट अंक जुटाने होंगे। यूजीसी ने परास्नातक कोर्सों को लेकर जारी किए गए इन फ्रेमवर्क को सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को अमल में लाने के भी निर्देश दिए है।

बीई-बीटेक के लिए दो साल का पीजी कोर्स

परास्नातक कोर्सों को लेकर तैयार किए गए नए फ्रेमवर्क में चार साल का बीई- बीटेक कोर्स करने वाले छात्रों के लिए परास्नातक कोर्स दो साल का होगा। इसके लिए छात्रों को 280 क्रेडिट अंक जुटाने होंगे। वहीं तीन साल का स्नातक कोर्सों करने वाले छात्रों के लिए पहले की तरह परा स्नातक की पढ़ाई दो साल की ही होगी। इसके लिए उन्हें 260 क्रेडिट अंक जुटाने होंगे। यूजीसी ने इस फ्रेमवर्क के साथ ही देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से इस फ्रेमवर्क को अपनाने का निर्देश दिया है।

उच्च शिक्षा आयोग पर सरकार अब बढ़ेगी आगे-प्रधान

अलग-अलग नियामकों के बीच बिखरे उच्च शिक्षा के ढांचे को एक दायरे में लाने के लिए प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) के गठन पर केंद्र सरकार ने फिर रुचि दिखाई है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंत्रालय की फिर से जिम्मेदारी संभालने के बाद इसमें तेजी लाने का दावा किया है और कहा कि जल्द ही वह इसे कैबिनेट के सामने भी लेकर जाएंगे।

प्रधान ने कहा कि आयोग का स्वरूप तैयार कर हो गया है। इसे लेकर सभी मंत्रालयों और विशेषज्ञों के साथ लंबी चर्चा भी की जा चुकी है। यह पूरी तरह से तैयार है। मंत्रालय जल्द इसे लेकर आगे बढ़ेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में ही इसके गठन की सिफारिश की गई थी। इस दौरान मेडिकल और कानून की पढ़ाई को छोड़ कर पूरी उच्च शिक्षा को इस आयोग के दायरे में लाया जाएगा। गौरतलब है कि मौजूदा समय में उच्च शिक्षा करीब 11 नियामकों के दायरे में बंटी हुई है।

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