2023 में जीवाश्म सीओ2 उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर, भारत में भी बढ़ा

2023 में जीवाश्म सीओ2 उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर, भारत में भी बढ़ा

लंदन, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। एक नए शोध के अनुसार, जीवाश्म ईंधन से वैश्विक कार्बन उत्सर्जन 2023 में फिर से बढ़ कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

भारत (8.2 प्रतिशत) और चीन (4 प्रतिशत) में 2023 में उत्सर्जन में वृद्धि का अनुमान है। इनके विपरीत यूरोपीय संघ (7.4 प्रतिशत), अमेरिका (3.0 प्रतिशत) और शेष विश्व में गिरावट (-0.4) की गिरावट का अनुमान है।

‘ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट’ विज्ञान टीम ने 2023 में 36.8 अरब टन जीवाश्म कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन का अनुमान लगाया है, जो 2022 की तुलना में 1.1 प्रतिशत अधिक है।

अनुसंधान दल में एक्सेटर विश्वविद्यालय, ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (यूईए), सिसरो सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च, लुडविग-मैक्सिमिलियन-यूनिवर्सिटी म्यूनिख और दुनिया भर के 90 अन्य संस्थान शामिल थे।

अर्थ सिस्टम साइंस डेटा जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि यूरोप और अमेरिका सहित कुछ क्षेत्रों में जीवाश्म सीओ2 उत्सर्जन गिर रहा है, लेकिन कुल मिलाकर बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए जीवाश्म ईंधन में कटौती की वैश्विक कार्रवाई इतनी तेजी से नहीं हो रही है।

भूमि-उपयोग परिवर्तन (जैसे वनों की कटाई) से उत्सर्जन में थोड़ी कमी आने का अनुमान है, लेकिन अभी भी पुनर्वनीकरण और वनरोपण (नये वन) के मौजूदा स्तर से इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है।

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2023 में कुल वैश्विक सीओ2 उत्सर्जन (जीवाश्म और भूमि-उपयोग परिवर्तन) 40.9 अरब टन होगा। यह लगभग 2022 के स्तर के समान है, और 10 वर्ष से लगभग स्थिर है – उत्सर्जन में भारी गिरावट से बहुत दूर जो वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तत्काल आवश्यक है।

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले एक्सेटर ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर पियरे फ्रीडलिंगस्टीन ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हमारे चारों ओर स्पष्ट हैं, लेकिन जीवाश्म ईंधन से कार्बन उत्सर्जन को कम करने की कार्रवाई बेहद धीमी है।”

फ्रिडलिंगस्टीन ने कहा, “अब यह अपरिहार्य लगता है कि हम पेरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य को पार कर जाएंगे, और सीओपी28 में बैठक करने वाले नेताओं को 2 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य को जीवित रखने के लिए भी जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन में तेजी से कटौती पर सहमत होना होगा।”

वर्तमान उत्सर्जन स्तर पर, ग्लोबल कार्बन बजट टीम का अनुमान है कि 50 प्रतिशत संभावना है कि ग्लोबल वार्मिंग लगभग सात वर्षों में लगातार 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगी।

यूईए के स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंसेज में रॉयल सोसाइटी रिसर्च प्रोफेसर कोरिन ले क्वेरे ने कहा, “नवीनतम सीओ2 डेटा से पता चलता है कि वर्तमान प्रयास वैश्विक उत्सर्जन को नेट ज़ीरो की ओर कम करने के लिए पर्याप्त गहरे या व्यापक नहीं हैं, लेकिन उत्सर्जन में कुछ रुझान कम होने लगे हैं, जिससे पता चलता है कि जलवायु नीतियां प्रभावी हो सकती हैं।”

शोध में कहा गया है कि उत्सर्जित सीओ2 का लगभग आधा हिस्सा भूमि और महासागर “सिंक” द्वारा अवशोषित किया जाता है, बाकी वायुमंडल में रहता है जहां यह जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है।

–आईएएनएस

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