विदेश मंत्री जयशंकर ने देश की बढ़ती ताकत का फिर से दांव ठोका…

विदेश मंत्री जयशंकर ने देश की बढ़ती ताकत का फिर से दांव ठोका…

भारत ने एक बार फिर अपनी बढ़ती ताकत का दांव ठोका है और कहा है कि वैश्विक संतुलन कायम करने और खास तौर एशिया को बहुधुव्रीय बनाने के लिए भारत का मजबूत रहना जरूरी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने निक्की एशिया 2024 (एशिया का भविष्य) सम्मेलन में कहा है कि एशिया को बहुधुव्रीय बनाने के लिए भारत में बदलाव जरूरी है, क्योंकि बहुधुव्रीय एशिया से ही बहुधुव्रीय विश्व का गठन होगा। भारत की बढ़ती ताकत यह सुनिश्चित करेगा कि विश्व में आजादी, खुलापन, पारदर्शिता और कानून सम्मत व्यवस्था कायम रहेगी।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के इस बयान को चीन के संदर्भ में देखा जा रहा है। जयशंकर ने टोक्यो में आयोजित उक्त सेमिनार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए जो बातें कहीं हैं वह वैश्विक मंचों पर भारत के बढ़ते आत्मविश्वास को भी दिखाता है।

भारत आज उदाहरण पेश करने में विश्वास रखता है- जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि, भारत आज उदाहरण पेश करने में विश्वास रखता है। भारत में चुनाव चल रहा है जो बताता है कि लोकतंत्र से भी बदलाव हो सकता है। यह देखा जा सकता है कि भारत किस तरह से समाजिक-आर्थिक लाभों का प्रभावशाली तरीके से व्यापक तौर पर वितरण कर सकता है। कहीं प्राकृतिक आपदा होती है तो भारत सबसे पहले मदद पहुंचाने वालों में होता है। सौर ऊर्जा से लेकर जैवविविधता के मामले में भारत लीडर की भूमिका निभा रहा है।

मुक्त-खुला हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व की शांति के लिए अनिवार्य शर्त

हम यह मानते हैं कि एक मुक्त, खुला, सुरक्षित, शांतिपूर्ण, संपन्न व स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व की शांति व स्थिरता के लिए भी अनिवार्य शर्त है। इस अवसर पर भारतीय विदेश मंत्री ने भारत और जापान के रिश्तों का जिक्र करते हुए इन्हें और ज्यादा प्रगाढ़ करने की जरूरत बताई। जापान की मदद से भारत में चल रहे विकास कार्यों और पूर्वोत्तर क्षेत्र में चल रहे सहयोग का खास तौर पर जिक्र किया।

जापानी कंपनियों को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए आमंत्रित किया

ऊर्जा, अंतरिक्ष, हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में चल रहे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने और गहरी प्रतिबद्धता की जरूरत बताई। दोनो देशों के बीच कारोबार बढ़ाने की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत आज यूरोपीय संघ के साथ 135 अरब डॉलर, अमेरिका व चीन के साथ 118-118 अरब डॉलर, रूस के सात 66 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार कर रहा है जबकि जापान के साथ यह सिर्फ 23 अरब डॉलर का है। उन्होंने जापान की कंपनियों को भारत में और ज्यादा निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।

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