एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने डिस्काउंट को लेकर क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत

नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स का प्रतिनिधित्व करने वाले एक निकाय ने शुक्रवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के समक्ष एक याचिका दायर की, जिसमें क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म ब्लिंकिट, स्विगी और जेप्टो पर कथित रूप से प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार में शामिल होने का आरोप लगाया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स का आरोप है कि ये प्लेटफॉर्म बाजार में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए भारी छूट सहित प्रीडेट्री प्राइजिंग रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह शिकायत ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) द्वारा दर्ज कराई गई थी, जो देशभर में उपभोक्ता वस्तुओं के डिस्ट्रीब्यूटर्स का प्रतिनिधित्व करता है।
हालांकि, सीसीआई ने अभी तक याचिका स्वीकार नहीं की है। रिपोर्ट बताती है कि प्रतिस्पर्धा नियामक अगले चार हफ्तों के भीतर तय करेगा कि मामले की जांच करनी है या मामला बंद करना है।
यह पहली बार है जब डिस्ट्रीब्यूटर्स के संघ ने क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ औपचारिक रूप से सीसीआई से संपर्क किया है। इससे पहले, उद्योग निकाय ने वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों के समक्ष इसी तरह की चिंताओं को उठाया था।
क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म के उदय ने किराने के सामान और उपभोक्ता वस्तुओं की अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी की पेशकश कर खुदरा क्षेत्र को बदल दिया है।
हालांकि, पारंपरिक डिस्ट्रीब्यूटर्स का तर्क है कि इन प्लेटफार्मों द्वारा एग्रेसिव छूट उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा रही है और बाजार को बाधित कर रही है।
इस बीच पिछले साल के अंत में सीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट से ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ चल रही एंटीट्रस्ट जांच को तेज करने के लिए सभी मामलों को मर्ज करने का आग्रह किया है।
नियामक का दावा है कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में ई-रिटेलर्स द्वारा दायर कई मामलों की वजह से जांच में देरी हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, अमेजन और फ्लिपकार्ट से जुड़े कम से कम 20 ऑनलाइन विक्रेताओं ने अलग-अलग अदालतों में याचिका दायर की है।
सीसीआई ने तर्क दिया है कि ये मामले दो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा कथित अनुचित बिजनेस प्रैक्टिस की जांच को रोकने का एक प्रयास है।
यह मामला 2019 का है, जब सीसीआई ने अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच शुरू की थी। जांच इस दावे पर केंद्रित थी कि प्लेटफॉर्म चुनिंदा विक्रेताओं को स्पेशल ट्रीटमेंट देते हैं।
प्रतिस्पर्धा नियामक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अलग-अलग अदालतों को मामलों को अलग-अलग संभालने की अनुमति देने से भ्रम और अनावश्यक देरी होगी।
–आईएएनएस
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