7 प्रतिशत से अधिक विकास दर की वित्त मंत्रालय को उम्मीद, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव का जोखिम


नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग और आर्थिक सुधारों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के 7 प्रतिशत से अधिक बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन इजरायल-हमास युद्ध जैसे भू-राजनीतिक तनाव से खतरा भी है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट देश के आर्थिक विकास पथ पर आशावादी है, जिसमें जीडीपी 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर से दोगुना होकर 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।

29 जनवरी तक, भारतीय अर्थव्यवस्था के 3.7 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छूने की खबर है, जो एक दशक पहले 1.9 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति से एक बड़ी छलांग है।

वैश्विक मंदी के बीच वित्त मंत्रालय ने भारत की मजबूत विकास दर का श्रेय कई आर्थिक सुधारों और बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश को दिया है, जिसका अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में कई गुना प्रभाव पड़ा है। इन सुधारों ने वैश्विक झटकों के बीच देश को आर्थिक मजबूती दी है।

बुनियादी ढांचे में सरकार के निवेश में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2015 में 5.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में अनुमानित 18.6 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह निवेश आर्थिक विकास को बनाए रखने और बढ़ाने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जो पिछले तीन वर्षों में 7 प्रतिशत से अधिक की विकास दर के साथ मजबूत रहा है।

हालांकि, साथ ही इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं।

अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से पैदा हुए सर्विस सेक्टर में नौकरी में कटौती का खतरा, जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास के बीच समन्वय बनाना और पर्याप्त रूप से कुशल कार्यबल की उपलब्धता शामिल है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के युग में, भारत का विकास दृष्टिकोण वैश्विक विकास के प्रभावों पर भी निर्भर करता है, न कि केवल इसके घरेलू प्रदर्शन पर। यह लाल सागर में दिखता है, जिसके चलते शिपिंग लागत में वृद्धि हुई है और व्यापार खेपों में देरी हुई है। मर्चेंट जहाजों को अब दक्षिण अफ्रीका से होकर बहुत लंबा रास्ता तय करना पड़ता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ”हालांकि, सरकार ने 2047 तक ‘विकसित देश’ बनने का लक्ष्य रखा है। सुधारों की यात्रा जारी रहने के साथ, यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।”

—आईएएनएस

एसकेपी/


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