नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। एक शोध के अनुसार, जिन लोगों की मांसपेशियों के अंदर वसा की जेबें छिपी होती हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक रहता है, चाहे उनका बॉडी मास इंडेक्स कुछ भी हो।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित नए अध्ययन में इस बात के प्रमाण दिए गए हैं कि बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) या कमर की चौड़ाई सभी लोगों के लिए हृदय रोग के जोखिम का सही-सही मूल्यांकन करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों की मांसपेशियों में वसा की मात्रा अधिक होती है, उनमें हृदय की छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने की संभावना अधिक होती है (कोरोनरी माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन या सीएमडी)। ऐसे लोगों में हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
जिन लोगों में इंटरमस्क्युलर वसा का उच्च स्तर और सीएमडी के सबूत होते हैं, उनमें दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है।
ब्रिघम और महिला अस्पताल, यूएस में कार्डियक स्ट्रेस प्रयोगशाला के निदेशक प्रोफेसर विवियन टैक्वेटी ने कहा, ये निष्कर्ष वसा और मांसपेशियों को संशोधित करने वाले इनक्रीटिन-आधारित उपचारों के हृदय स्वास्थ्य प्रभावों को समझने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसमें ग्लूकागन-जैसे पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट की नई श्रेणी शामिल है।
अध्ययन ने 669 लोगों में मांसपेशियों और विभिन्न प्रकार के वसा का विश्लेषण किया, ताकि यह समझा जा सके कि शरीर की संरचना हृदय की छोटी रक्त वाहिकाओं या ‘माइक्रोकिरकुलेशन’ को कैसे प्रभावित कर सकती है। साथ ही साथ दिल के दौरे के खतरों को भी जानने में मदद मिलता है।
लगभग छह साल तक चले अध्ययन में टीम ने प्रत्येक रोगी की शारीरिक संरचना का विश्लेषण करने के लिए सीटी स्कैन का भी उपयोग किया। उनके धड़ के एक हिस्से में वसा और मांसपेशियों की मात्रा और स्थान को मापा।
अध्ययन में दुबली मांसपेशियों वाले लोगों में जोखिम कम पाया गया। ऐसे लोगों में त्वचा के नीचे जमा वसा ने खतरा नहीं बढ़ाया।
टीम वसायुक्त मांसपेशियों वाले लोगों में दिल के दौरे के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए व्यायाम, खानपान, वजन घटाने वाली दवाओं या सर्जरी सहित उपचार की अन्य विधियों के शरीर की संरचना और हृदय रोग पर प्रभाव का आकलन कर रही है।
–आईएएनएस
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