'लद्दाख को लेकर फरहान अख्तर की बताई बातें सच हुई साबित', '120 बहादुर' की शूटिंग अनुभव पर बोले विवान भटेना

मुंबई, 21 नवंबर (आईएएनएस)। लद्दाख का ठंडा मौसम और ऊंचाई पर सांस रोक देने वाली हवा समेत तमाम चीजें किसी भी इंसान को अंदर तक हिला देती हैं। ऐसी जगह पर जाना ही अपने-आप में बड़ी चुनौती है, और वहां महीनों रहकर काम करना किसी परीक्षा से कम नहीं। फिल्म ‘120 बहादुर’ की टीम वहां शूटिंग के लिए पहुंची, तो उनके लिए यह सिर्फ एक फिल्म की लोकेशन नहीं थी, बल्कि एक ऐसा अनुभव था जिसने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से बदल दिया।
इन्हीं अनुभवों को अभिनेता विवान भटेना ने आईएएनएस संग साझा किया। उन्होंने न सिर्फ लद्दाख की खूबसूरती और उसके खतरों के बारे में बात की, बल्कि यह भी बताया कि वहां काम करते हुए उनकी सोच, उनकी ताकत और उनकी सहनशक्ति कैसे बदल गई।
आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में विवान भटेना ने बताया कि लद्दाख में कदम रखते ही उन्हें एहसास हो गया कि ये जगह बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा, “जब हम लद्दाख पहुंचे, तो मेरे को-एक्टर फरहान अख्तर ने मुझे एक ऐसी बात कही जो मन में हमेशा के लिए बस गई। फरहान ने कहा था कि ‘लद्दाख इंसान को बदल देता है। यह एहसास कराता है कि हम ब्रह्मांड के सामने कितने छोटे और कमजोर हैं।’ उनकी यह बात पूरी तरह सच साबित हुई। लद्दाख जितना खूबसूरत दिखता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। यह एक तरह से ‘खूबसूरत लेकिन खतरनाक’ जगह है, एक ऐसी जगह जो आंखों को भाती है, लेकिन जरा सी गलती जानलेवा साबित हो सकती है।”
विवान ने कहा, ”हमारे सैनिक जिन हालात में देश की रक्षा करते हैं, वे वास्तव में अद्भुत हैं। वहां कोई भी इंसानी बसावट नहीं, कोई हलचल नहीं, सिर्फ ठंड, ऊंचाई और सुनसान पहाड़ हैं। फिर भी सैनिक डटे रहते हैं। जब हमने यह सब खुद अनुभव किया, तब जाकर हमें सैनिकों की असली कठिनाइयों का एहसास हुआ।”
फिल्म की शूटिंग के दौरान कलाकारों और टीम के बाकी सदस्यों को इन हालातों में खुद को ढालना पड़ा। विवान ने बताया कि शुरुआत में स्थिति इतनी मुश्किल थी कि वे 400 मीटर भी आसानी से नहीं चल पाते थे। ऊंचाई की वजह से हर कुछ कदम पर उन्हें पानी पीने की जरूरत पड़ती थी। उनका शरीर तेजी से थक जाता था, और सांस फूलने लगती थी। लेकिन, फिल्म की डिमांड थी कि वे सैनिकों जैसा अनुशासन और ताकत दिखाएं, इसलिए उन्हें खुद को हर दिन थोड़ा और तैयार करना पड़ा।
अभिनेता ने कहा, ”लगातार दो महीनों की ट्रेनिंग और रोजाना अभ्यास ने हमारी क्षमता में बड़ा बदलाव लाया। धीरे-धीरे मैं 8 किलोमीटर तक बिना थके चलने लगा। मैं रोज पूरे गांव में घूमता था, ताकि मेरे पैर, फेफड़े और शरीर इतनी ताकत हासिल कर सके कि मैं लड़ाई के सीन्स को असल सैनिकों की तरह निभा सकूं। यह सिर्फ एक्टिंग नहीं थी, यह एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसने मुझे अंदर और बाहर दोनों रूप से मजबूत किया।”
विवान ने कहा, “लद्दाख ने मुझे सीख दी कि कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती है, अगर इंसान उसे पार करने की ठान ले। चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, मेहनत और हिम्मत इंसान को जीत दिला सकती है।”
–आईएएनएस
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