भारत के बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में करीब 2,000 करोड़ रुपए बढ़ा

नई दिल्ली, 25 जून (आईएएनएस)। ईरान-इजरायल युद्ध के बावजूद भारत के बासमती चावल निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में 1,923 करोड़ रुपए बढ़ा है। वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएस) की ओर से संकलित किए गए डेटा से यह जानकारी मिली।
डीजीसीआईएस के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 50,312 करोड़ रुपए (5.87 अरब डॉलर) के बासमती चावल का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 48,389 करोड़ रुपए (5.74 अरब डॉलर) पर था।
भारत का चावल निर्यात ऐसे समय पर बढ़ा है जब मध्य पूर्व और वैश्विक स्तर पर अस्थिरता बनी हुई है।
डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 60.65 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) चावल का निर्यात किया है, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़े से 8.23 एलएमटी या 15.7 प्रतिशत अधिक है।
बीते वित्त वर्ष भारत ने 154 देशों को चावल का निर्यात किया था, इससे पिछले साल समान अवधि में यह आंकड़ा 150 था।
सऊदी अरब लगभग 11.73 एलएमटी के साथ भारतीय बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक था, जिसके बाद इराक और ईरान क्रमशः 9.05 एलएमटी और 8.55 एलएमटी के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर थे।
यह तीनों देश 2023-24 में भी शीर्ष तीन आयातक थे, जिन्होंने क्रमशः 10.98 एलएमटी, 8.24 एलएमटी और 6.7 एलएमटी चावल खरीदा था।
आयातकों के अन्य शीर्ष 10 देशों में यमन (3.92 एलएमटी), यूएई (3.89 एलएमटी), यूएसए (2.74 एलएमटी), यूनाइटेड किंगडम (1.80 एलएमटी), कुवैत (1.75 एलएमटी), ओमान (1.49 एलएमटी) और कतर (1.24 एलएमटी) शामिल हैं।
मूल्य के संदर्भ में, सऊदी अरब सबसे बड़ा खरीदार था, जिसने भारतीय बासमती चावल के लिए 10,190.73 करोड़ रुपए का भुगतान किया, उसके बाद इराक ने 7,201 करोड़ रुपए, ईरान ने 6,374 करोड़ रुपए, यूएई ने 3,089 करोड़ रुपए, यमन ने 3,038.56 करोड़ रुपए और अमेरिका ने 2,849 करोड़ रुपए का भुगतान किया।
मूल्य की दृष्टि से भारतीय बासमती चावल के अन्य बड़े आयातकों में 1,613.36 करोड़ रुपए के भुगतान के साथ यूके, 1,518.8 करोड़ रुपए के साथ कुवैत, 1,223 करोड़ रुपए के साथ ओमान और 1,040 करोड़ रुपए के साथ कतर का स्थान था।
–आईएएनएस
एबीएस/