ईएसटीआईसी 2025 भारत की बड़ी टेक छलांग से यादगार बन गया : जितेंद्र सिंह

 
नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सहयोग से आयोजित ‘उभरती रणनीतिक प्रौद्योगिकियां और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी) 2025’ में तीन क्रांतिकारी स्वदेशी इनोवेशन देश को समर्पित किए। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने इसकी तारीफ की और इसे ‘भारत की बड़ी टेक छलांग’ बताया।
तीन इनोवेशन में क्यूएसआईपी (क्वांटम सिक्योर इंटीग्रेटेड प्रोसेसर), 25-क्विबिट क्यूपीयू (क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट) और सीएआर-टी सेल थेरेपी शामिल है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “ईएसटीआईसी2025 भारत की बड़ी डीप-टेक छलांग से यादगार बन गया! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीएसटी के सहयोग से भारतीय इनोवेटर्स द्वारा विकसित तीन जबरदस्त इनोवेशन तोहफे में दिए- क्वांटम सिक्योर इंटीग्रेटेड प्रोसेसर: भारत की अपनी क्वांटम सिक्योरिटी चिप, 25-क्विबिट क्यूपीयू: भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग चिप और सीएआर-टी सेल थेरेपी: भारत की पहली स्वदेशी कैंसर सेल थेरेपी। 2 चिप्स + 1 थेरेपी। ये बड़ी सफलताएं भारत को एक ग्लोबल साइंस और टेक्नोलॉजी पावरहाउस के रूप में स्थापित करती हैं।”
क्यूएसआईपी भारत की पहली स्वदेशी क्वांटम सिक्योरिटी चिप है, जिसे डीआरडीओ और आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिकों ने मिलकर विकसित किया। यह चिप क्वांटम की-डिस्ट्रीब्यूशन तकनीक पर आधारित है, जो हैकिंग से पूरी तरह सुरक्षित संचार सुनिश्चित करती है। रक्षा, बैंकिंग और सरकारी डेटा सेंटरों में इसका उपयोग होगा।
25-क्विबिट क्वांटम प्रोसेसिंग यूनिट (क्यूपीयू) भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी क्वांटम कंप्यूटिंग चिप है। इसे आईआईएसटी बेंगलुरु और टीआईएफआर मुंबई के वैज्ञानिकों ने विकसित किया। यह चिप सुपरकंडक्टिंग क्विबिट तकनीक पर आधारित है और मौजूदा सुपरकंप्यूटरों से लाखों गुना तेज गणना कर सकती है। दवा खोज, मौसम पूर्वानुमान, वित्तीय मॉडलिंग और एआई ट्रेनिंग में क्रांति लाएगी। भारत अब अमेरिका, चीन और कनाडा के बाद क्वांटम चिप बनाने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है।
सीएआर-टी (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल) थेरेपी भारत की पहली स्वदेशी जीन-आधारित कैंसर थेरेपी है, जिसे आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने मिलकर विकसित किया। यह थेरेपी ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी। मरीज के टी-सेल्स को निकालकर जेनेटिकली संशोधित किया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट कर देती हैं। विदेशों में यह इलाज 4-5 करोड़ रुपए का पड़ता है, जबकि भारत में इसे मात्र 40-50 लाख रुपए में उपलब्ध कराया जाएगा। जल्द ही क्लीनिकल ट्रायल पूरा कर इसे बाजार में लाया जाएगा।
–आईएएनएस
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