दिल्ली: डब्ल्यूएचओ की बैठक में आयुष प्रणालियों को स्वास्थ्य देखभाल की मुख्यधारा में लाने पर जोर


नई दिल्ली, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 20-21 दिसंबर को नई दिल्ली में पारंपरिक चिकित्सा (टीएम) हस्तक्षेप कोड सेट विकास पर दो दिवसीय तकनीकी परियोजना बैठक की। पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के वैश्विक एकीकरण की दिशा में यह डब्ल्यूएचओ का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

यह पहल मूलरूप से आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच 24 मई को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) और दाता समझौते से प्रेरित थी। यह समझौता स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के वर्गीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक, स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई) के भीतर एक समर्पित पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल विकसित करने की आधारशिला है, जिसमें भारत आयुर्वेद और यूनानी (एएसयू) प्रणालियों को वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल की मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक वित्तीय और तकनीकी ढांचे प्रदान करेगा।

बैठक का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि ऐसी पहल आयुष प्रणालियों को वैज्ञानिक तरीके से वैश्विक स्तर पर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहायक होती हैं। अपने ‘मन की बात’ संबोधन में एक बार फिर प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह मानकीकृत ढांचा आयुष प्रणालियों को वैश्विक मान्यता और वैज्ञानिक विश्वसनीयता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने इससे पहले कहा था कि एक समर्पित आईसीएचआई मॉड्यूल आयुष प्रणालियों की वैश्विक मान्यता को सुगम बनाएगा और समावेशी, सुरक्षित और साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा के लिए डब्ल्यूएचओ के प्रयासों का समर्थन करेगा।

तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता आयुष मंत्रालय की संयुक्त सचिव कविता गर्ग ने की, जिन्होंने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य हस्तक्षेप संहिता विकसित करने में भारतीय टीम का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक प्रतिष्ठित टीम ने इस पहल में योगदान दिया, जिनमें प्रो. रबीनारायण आचार्य (महानिदेशक, सीसीआरएएस), प्रो. एनजे मुथुकुमार (महानिदेशक, सीसीआरएस) और डॉ. जहीर अहमद (महानिदेशक, सीसीआरएम) शामिल थे।

बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सभी छह क्षेत्रों की व्यापक भागीदारी रही। जेनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ मुख्यालय के प्रमुख प्रतिनिधियों, जैसे रॉबर्ट जैकब, नेनाद कोस्टांजेक, स्टीफन एस्पिनोसा और डॉ. प्रदीप दुआ ने वर्गीकरण संबंधी चर्चाओं का नेतृत्व किया। उनके साथ जामनगर स्थित डब्ल्यूएचओ वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (जीटीएमसी) से डॉ. गीता कृष्णन और दिल्ली स्थित डब्ल्यूएचओ समुद्री और पश्चिमी कृषि संगठन (एसईएआरओ) कार्यालय से डॉ. पवन कुमार गोदातवार भी शामिल हुए। भूटान, ब्राजील, भारत, ईरान, मलेशिया, नेपाल, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, फिलीपींस, ब्रिटेन और अमेरिका सहित सदस्य देशों ने अपने देश की स्थिति का मूल्यांकन करने और हस्तक्षेप विवरणों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए भाग लिया।

–आईएएनएस

एमएस/डीकेपी


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