ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेपी समूह के प्रमुख मनोज गौड़ को गिरफ्तार किया

नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फ्लैटों के निर्माण के लिए घर खरीदारों द्वारा भुगतान किए गए पैसों की कथित हेराफेरी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से गुरुवार को दी गई।
ईडी ने मई में मनोज गौड़ की कई कंपनियों के 15 परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसमें जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड एवं कई अन्य कंपनियों का नाम शामिल था।
ऑपरेशन के दौरान अधिकारियों ने 1.7 करोड़ रुपए नकद जब्त किए और इसके साथ वित्तीय रिकॉर्ड, डिजिटल डेटा और ग्रुप कंपनियों, परिवार के सदस्यों और कंपनी के प्रमोटर्स के नाम पंजीकृत संपत्तियों को सीज किया था।
यह छापे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत चल रही जांच के तहत दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गाजियाबाद में मारे गए।
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) द्वारा 526 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान न करने के बाद, आईडीबीआई बैंक ने सबसे पहले इलाहाबाद स्थित राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की थी। एनसीएलटी ने 9 अगस्त, 2017 को दिवालियेपन की प्रक्रिया शुरू की थी।
दिवालियापन के इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि जेआईएल की परियोजनाओं में फ्लैट बुक करने वाले 21,000 से अधिक घर खरीदार (मुख्य रूप से नोएडा के विश टाउन में) निर्माण परियोजनाओं से पैसा डायवर्ट होने के कारण मुश्किल में पड़ गए थे।
उनके हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः आईबीसी में एक संशोधन हुआ जिसने घर खरीदारों को वित्तीय लेनदारों के रूप में वर्गीकृत किया, जिससे उन्हें समाधान प्रक्रिया में वोट देने का अधिकार मिला।
इस मामले में व्यापक कानूनी कार्यवाही शामिल थी, जिसमें उन लेनदेन से संबंधित विवाद भी शामिल थे, जिनमें जेआईएल की संपत्ति को उसकी मूल कंपनी, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के ऋणों को सुरक्षित करने के लिए गिरवी रखा गया था।
कई दौर की बोली के बाद, राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने मई 2024 में ‘सुरक्षा ग्रुप’ द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना के तहत, सुरक्षा को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करना है और भूमि अधिग्रहण शर्तों के तहत किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देना है।
–आईएएनएस
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