फेस्टिव सीजन में अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, कारों से लेकर गोल्ड कॉइन की हुई रिकॉर्ड बिक्री


नई दिल्ली / मुंबई, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में इस साल फेस्टिव सीजन के दौरान अच्छी आर्थिक गतिविधियां देखने को मिल रही हैं और देश में जीएसटी सुधार लागू होने के बाद से ऑटोमोबाइल, गोल्ड और इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है।

धनतेरस पर सोने और चांदी की बिक्री वैल्यू में करीब 25 प्रतिशत बढ़ी है और ऑटो इंडस्ट्री की सेल्स वॉल्यूम में भी बढ़त देखने को मिली है।

विश्लेषकों के अनुसार, त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी के लिए नया उत्साह देखने को मिल रहा है।

धनतेरस पर अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) ने कीमतों में हाल की गिरावट के बाद सोने और चांदी की खरीदारी में उछाल को रिपोर्ट किया।

जीजेसी के अध्यक्ष राजेश रोकड़े के अनुसार, “हमें उम्मीद है कि त्योहारी बिक्री 50,000 करोड़ रुपए को पार कर जाएगी। सोने और चांदी की ऊंची कीमतों के बावजूद, शादी और रणनीतियों उद्देश्यों के लोग खरीदारी कर रहे हैं।”

सोने के सिक्कों और हॉलमार्क वाली हल्की ज्वेलरी की मांग बढ़ी है और चांदी में सिक्को और पूजा से जुड़े प्रोडक्ट्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और इसकी मांग में 40 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली है।

टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स लिमिटेड के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी अमित कामत के अनुसार, इस साल धनतेरस और दिवाली की डिलीवरी शुभ मुहूर्त के अनुसार दो-तीन दिनों में होगी।

उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर मांग मजबूत रही है और जीएसटी 2.0 सुधार ने इसे और भी सकारात्मक गति प्रदान की है। हमें इस अवधि के दौरान 25,000 से अधिक वाहनों की डिलीवरी की उम्मीद है।”

यह सकारात्मक गति त्योहारी उत्साह, बाजार के उत्साहजनक माहौल और जीएसटी 2.0 सुधारों के उत्साहजनक प्रभाव से प्रेरित है।

हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड (एचएमआईएल) के पूर्णकालिक निदेशक और सीओओ तरुण गर्ग ने कहा, “हमें ग्राहकों की अच्छी मांग देखने को मिल रही है और डिलीवरी लगभग 14,000 यूनिट होने की उम्मीद है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है।”

सीएआईटी के अनुसार, धनतेरस पर पूरे भारत में भारी खरीदारी देखी गई, कुल व्यापार 1 लाख करोड़ रुपए को पार करने का अनुमान है, जो हाल के वर्षों में सबसे मजबूत त्योहारी सीज़न में से एक है। अकेले सोने और चांदी की बिक्री में 60,000 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान रहा, जबकि स्वदेशी उत्पादों की मांग बढ़ने से दिल्ली के बाजारों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक का लेनदेन दर्ज किया गया।

–आईएएनएस

एबीएस/


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