5 अक्टूबर, 2022 (बुधवार)
दशहरा मुहूर्त
- दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक की होती।
- यदि दशमी दो दिन हो और केवल दूसरे ही दिन अपराह्नकाल को व्याप्त करे तो विजयादशमी दूसरे दिन मनाई जाएगी।
- यदि दशमी दो दिन के अपराह्न काल में हो तो दशहरा त्यौहार पहले दिन मनाया जाएगा।
- यदि दशमी दोनों दिन पड़ रही है, परंतु अपराह्न काल में नहीं, उस समय में भी यह पर्व पहले दिन ही मनाया जाएगा।
दशहरा की कथा
• पौराणिक मान्यता के अनुसार इस त्यौहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरूषोत्तम राम ने दस सिर वाले आतातायी रावण का वध किया था। तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इस प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता एवं अहंकार को नष्ट करें।
• महाभारत की कथा के अनुसार दुर्योधन ने जुए में पांडवों को हरा दिया था। शर्त के अनुसार पांडवों को 12 वर्षों तक निर्वासित रहना पड़ा, जबकि एक साल के लिए उन्हें अज्ञातवास में भी रहना पड़ा। अज्ञातवास के दौरान उन्हें हर किसी से छिपकर रहना था और यदि कोई उन्हें पा लेता तो उन्हें दोबारा 12 वर्षों का निर्वासन का दंश झेलना पड़ता। इस कारण अर्जुन ने उस एक साल के लिए अपनी गांडीव धनुष को शमी नामक वृक्ष पर छुपा दिया था और राजा विराट के लिए एक ब्रिहन्नला का छद्म रूप धारण कर कार्य करने लगे। एक बार जब उस राजा के पुत्र ने अर्जुन से अपनी गाय की रक्षा के लिए मदद मांगी तो अर्जुन ने शमी वृक्ष से अपने धनुष को वापिस निकालकर दुश्मनों को हराया था।
• एक अन्य कथानुसार जब भगवान श्रीराम ने लंका की चढ़ाई के लिए अपनी यात्रा का श्रीगणेश किया तो शमी वृक्ष ने उनके विजयी होने की घोषणा की थी।
• यदि आप इस त्यौहार का असल में स्वाद चखना चाहते हैं तो मैसूर जाएँ। मैसूर दशहरा पर्व बहुत ही बृहद रूप में मनाया जाता है जो कि बहुत प्रसिद्ध है। दशहरा त्यौहार से लोग दिवाली उत्सव के लिए अपनी तैयारियाँ शुरु कर देते हैं।
• इस जानकारी के साथ हम आशा करते हैं कि आप इस दिन को अपने लिए मंगलकारी बनाने में सफल होंगे।