महंगाई कम रहने के कारण आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कर सकता है कटौती : रिपोर्ट

मुंबई, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। 50 प्रतिशत आयात शुल्क वर्ष के अंत तक लागू रहने की स्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो दर घटकर 5.25 प्रतिशत रह जाएगी। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
एचएसबीसी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, सरकार विकास को बढ़ावा देने के लिए नए आर्थिक सुधारों के साथ-साथ निर्यातकों के लिए एक राजकोषीय पैकेज का एलान कर सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति वर्षों के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है, जिससे आरबीआई को मौद्रिक नीति में ढील देने की अधिक गुंजाइश मिल गई है।
सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 1.5 प्रतिशत रही, जो जून 2017 के बाद से सबसे कम है क्योंकि खाद्य कीमतें अपस्फीति में चली गईं।
यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में गिरावट, अनाज के अच्छे उत्पादन और पर्याप्त भंडार वाले अन्न भंडारों के कारण दर्ज की गई है।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में वार्षिक और क्रमिक दोनों रूप में गिरावट आई है, अगस्त में भारी बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में आई तेजी के बाद कीमतों में फिर से गिरावट दर्ज की गई।
अनाज और दालों की कीमतों में भी मासिक गिरावट देखी गई, जिससे समग्र मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ।
जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए औसत मुद्रास्फीति 1.7 प्रतिशत रही, जो आरबीआई के 1.8 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा कम है।
हालांकि, सोने की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण हेडलाइन सीपीआई ऊंची बनी रही, जो सितंबर में सालाना आधार पर लगभग 47 प्रतिशत बढ़ी।
केवल सोने ने ही हेडलाइन सीपीआई में लगभग 50 आधार अंकों का योगदान दिया।
एचएसबीसी ने बताया कि कोर मुद्रास्फीति का उसका पसंदीदा माप तिमाही के दौरान 3.2 प्रतिशत पर स्थिर रहा, जिसमें खाद्य, ऊर्जा, आवास और सोना शामिल नहीं है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति 1 प्रतिशत से नीचे आने की संभावना है और महीने के पहले दस दिनों में सब्जियों की कीमतों में 3 से 5 प्रतिशत की गिरावट आएगी।
तेल की कम कीमतों और चीन से सस्ते निर्यात से भी आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रहने की उम्मीद है।
–आईएएनएस
एसकेटी/