निवेशकों की रुचि और अच्छे अवसरों के चलते जारी रहेगी भारत के आरईआईटी मार्केट में तेजी: रिपोर्ट

मुंबई, 10 मार्च (आईएएनएस)। भारत के रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आरईआईटी) मार्केट में तेजी जारी रहने की उम्मीद है। इसकी वजह उच्च गुणवत्ता वाली कमर्शियल प्रोपर्टी की मांग में वृद्धि, निवेशकों की बढ़ती रुचि और रेगुलेशन में सुधार होना है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में आरईआईटी के पास एसेट्स डेवलपमेंट के कई अवसर हैं और आने वाले समय में कई नए आरईआईटी के लॉन्च होने की संभावना है।
रिपोर्ट में बताया गया कि प्रीमियम रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की उपलब्धता से वित्त वर्ष 26 और उसके बाद भी देश के आरईआईटी पोर्टफोलियो के विस्तार को समर्थन मिलने की संभावना है।
भारतीय ऑफिस आरईआईटी सेगमेंट में लगातार वृद्धि हुई है और पिछले छह वर्षों में कुल ऑपरेशनल स्टॉक 7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है।
भारत के शीर्ष आठ शहरों में कुल ऑफिस स्टॉक में आरईआईटी का हिस्सा अब 9 प्रतिशत से अधिक है, जो देश के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर में उनके बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
भारत ने 2019 में एम्बेसी आरईआईटी की लिस्टिंग के साथ आरईआईटी क्षेत्र में प्रवेश किया, इसके बाद 2020 में माइंडस्पेस आरईआईटी और ब्रुकफील्ड आरईआईटी की लिस्टिंग हुई।
रिपोर्ट में बताया गया कि आईटी, बीएफएसआई और ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) जैसे सेक्टर्स ने टेक्नोलॉजी सक्षम और अच्छी जगह पर मौजूद ऑफिस स्पेस की मांग में इजाफा किया है।
वहीं, अब डेवलपर्स आरईआईटी एसेट्स पर फोकस कर रहे हैं जिससे कॉरपोरेट्स की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
केयरएज रेटिंग्स के निदेशक एवं रेटिंग प्रमुख (रियल एस्टेट) दिव्येश शाह के अनुसार, वर्तमान आरईआईटी बाजार ज्यादातर कार्यालय-केंद्रित है। हालांकि,अब रिटेल और हॉस्पिटेलिटी सेक्टर में भी रुचि बढ़ रही है।
उन्होंने आगे कहा कि ई-कॉमर्स की पहुंच बढ़ने और आधुनिक रिटेल स्टोर्स की मांग बढ़ने के कारण संगठित रिटेल स्पेस में मजबूत बढ़त देखने को मिल रही है।
बाजार का और विस्तार करने के लिए सेबी ने छोटे और मध्यम (एसएम) आरईआईटी की शुरुआत की है, जिसमें निवेश के लिए न्यूनतम एसेट मूल्य को घटाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि पारंपरिक आरईआईटी के लिए यह 500 करोड़ रुपये है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम से बाजार में भागीदारी बढ़ेगी और तरलता में सुधार होगा। इसके साथ ही टियर-1 और टियर-2 शहरों में रियल एस्टेट विकास को बढ़ावा मिलेगा।
–आईएएनएस
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