आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा में शामिल हुए डॉ. रामविलास वेदांती, पद्म पुरस्कार देने की मांग
![आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा में शामिल हुए डॉ. रामविलास वेदांती, पद्म पुरस्कार देने की मांग आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा में शामिल हुए डॉ. रामविलास वेदांती, पद्म पुरस्कार देने की मांग](https://iansportalimages.s3.amazonaws.com/thumbnails/202502133327004.jpg)
अयोध्या, 13 फरवरी (आईएएनएस)। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के उपाध्यक्ष और पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती ने रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने के बाद पूर्व सांसद ने सरकार से उन्हें पद्म पुरस्कार देने की मांग की है।
डॉ. वेदांती ने गुरुवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, “मैं आचार्य सत्येंद्र दास को 1968 से जानता हूं, जब मैं पहली बार अयोध्या आया था। उन्होंने ही मुझे हनुमानगढ़ी में भर्ती कराया था और हम साथ मिलकर पूजा करते थे। वह हमेशा समर्पित भाव से रामलला की सेवा में लगे रहे और आज भी उनके तपस्या और भजन महसूस किए जा सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि आचार्य सत्येंद्र दास रामलला के पहले पुजारी थे और जब तक रामलला विराजमान रहेंगे, तब तक उनकी पूजा करते रहेंगे। वेदांती ने यह भी कहा कि अब जब रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है, तो सत्येंद्र दास को उनके योगदान के लिए पद्म पुरस्कार मिलना चाहिए। उन्होंने इस पर सवाल उठाया कि यदि मुलायम सिंह यादव को पद्म भूषण मिल सकता है, तो रामलला के पहले पुजारी को यह सम्मान क्यों नहीं दिया जा सकता।
डॉ. वेदांती ने आचार्य सत्येंद्र दास के जीवन और उनकी साधना को याद करते हुए कहा कि उनका पूरा जीवन रामलला की सेवा में समर्पित था। उनकी भक्ति और समर्पण को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाना चाहिए। वेदांती ने सरकार से आग्रह किया कि संत समाज के ऐसे महापुरुषों को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलनी चाहिए, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन धर्म और आस्था की सेवा में लगा दिया।
उल्लेखनीय है कि आचार्य सत्येंद्र दास का निधन बुधवार को हो गया था। लखनऊ एसजीपीजीआई में बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा था।
सत्येंद्र दास को 2 फरवरी को स्ट्रोक के कारण अयोध्या के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें पहले ट्रामा सेंटर और फिर लखनऊ एसजीपीजीआई रेफर किया गया था। अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी ग्रस्त थे।
इसके बाद 4 फरवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल पहुंचकर उनका कुशलक्षेम जाना था। इस दौरान सीएम योगी ने डॉक्टरों से इलाज की प्रगति पर चर्चा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे।
राम मंदिर के निर्माण के दौरान और उसके बाद भी आचार्य सत्येंद्र दास की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वह मंदिर परिसर में नियमित पूजा-अर्चना का नेतृत्व करते थे और राम भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत थे।
–आईएएनएस
पीएसएम/एकेजे