देवउठनी एकादशी: इस दिन से शुरू होंगे सभी मांगलिक कार्य, तुलसी विवाह का भी है विशेष महत्व


नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि शनिवार को सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। इसके बाद एकादशी शुरू हो जाएगी। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कुम्भ राशि में रहेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

शनिवार को देवउठनी एकादशी है। स्कंद और पद्म पुराण में देवउठनी एकादशी का विशेष उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि इस तिथि को श्री हरि चार माह की योग निद्रा से जागृत होते हैं और सृष्टि का संचालन करना शुरू करते हैं और साथ ही इसके बाद से घर-घर में शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकदशी भी कहा जाता है और उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी पूजन और विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है और व्रत रखने से भाग्य चमकता है और सभी कार्य सफल होते हैं।

इस दिन पूजा करने के लिए सुबह भोर में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें और उसमें गंगाजल का छिड़काव करें। साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थल पर गाय के गोबर में गेरु मिलाकर भगवान विष्णु के चरण चिह्न बनाएं और नए मौसमी फल अर्पित करें। अब दान की सामग्री, जिनमें अनाज और वस्त्र हैं, अलग से तैयार करें।

दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और शंख-घंटी बजाते हुए ‘उठो देवा, बैठो देवा’ मंत्र का उच्चारण करें, जिससे सभी देवता जागृत हों। पंचामृत का भोग लगाएं। अगर आप व्रत रखते हैं तो तिथि के अगले दिन पारण करते समय ब्राह्मण को दान दें।

–आईएएनएस

एनएस/वीसी


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