अमेरिकी फंडिंग रुकने के बावजूद जाम्बिया ने दिया एचआईवी दवाओं की आपूर्ति बनी रहने का भरोसा


लुसाका, 7 फरवरी (आईएएनएस)। जाम्बिया सरकार ने जनता को आश्वस्त किया है कि जीवन रक्षक एचआईवी दवाओं की आपूर्ति जारी रहेगी, भले ही अमेरिका ने इन दवाओं की आपूर्ति रोकने का फैसला किया हो। अमेरिका अब तक जाम्बिया को इन दवाओं का बड़ा आपूर्तिकर्ता था।

जाम्बिया मेडिसिन्स एंड मेडिकल सप्लाई एजेंसी, जो दवाओं की खरीद, भंडारण और वितरण का काम देखती है, ने बताया कि देश में सभी मरीजों के लिए पर्याप्त एंटीरेट्रोवायरल (एआरवी) दवाएं उपलब्ध हैं।

एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ब्रैडली चिंगोबे ने बताया कि चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि दवाओं की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रहेगी। अभी जो एआरवी दवाएं उपलब्ध हैं, वे जून 2025 तक पर्याप्त रहेंगी।

उन्होंने बताया कि देशभर में मौजूद केंद्रीय गोदाम और सात क्षेत्रीय केंद्रों में दवाओं का पर्याप्त भंडार है, जिससे जरूरतमंद सभी मरीजों को पहली, दूसरी और तीसरी पंक्ति की एआरवी दवाएं मिलती रहेंगी।

एजेंसी का कहना है कि देशभर में 3,500 स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए दवाओं का वितरण जारी रहेगा।

सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका सरकार ने 20 जनवरी 2025 को अंतरराष्ट्रीय विकास कार्यक्रमों की 90 दिनों के लिए फंडिंग रोकने की घोषणा की थी। इसमें जाम्बिया के कार्यक्रम भी शामिल हैं।

जाम्बिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 30 सितंबर 2023 तक देश में करीब 15 लाख लोग एचआईवी संक्रमित थे, जिनमें से लगभग 13 लाख लोग एआरवी थेरेपी पर थे।

अमेरिकी सहायता बंद होने के कारण कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) को अपनी सेवाएं रोकनी पड़ी, जिससे एचआईवी से जुड़ी रोकथाम और उपचार सेवाएं प्रभावित हुईं। इसे देखते हुए, 6 फरवरी को बोत्सवाना सरकार ने प्रभावित मरीजों के लिए अस्थायी समाधान लागू किया।

स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता क्रिस्टोफर न्यान्गा ने बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रही है कि एचआईवी सेवाएं पहले की तरह चलती रहें।

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में ये सेवाएं पहले से ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में दी जा रही थी, इसलिए वहां पर उपचार जारी रहेगा। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि बंद हुए एनजीओ और सीएसओ दोबारा कब चालू होंगे। इसलिए मंत्रालय ने एचआईवी मरीजों से अपील की है कि वे अपनी जरूरी सेवाएं नजदीकी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से लें।

–आईएएनएस

एएस/


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