रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद दिवाली पर सोने-चांदी की मांग रहेगी बरकरार : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। सोने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद भारत में पीली धातु के स्वामित्व को बनाए रखने में कल्चरल डिमांड महत्वपूर्ण होगी और औद्योगिक इनपुट के रूप में चांदी की भूमिका इसकी कीमत को 50 डॉलर प्रति औंस से ऊपर ले जा सकती है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा मानना ​​है कि सोना भले ही 2025 के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहरा न पाए, लेकिन इसकी ऊपर की ओर बढ़ने की गति अभी खत्म नहीं हुई है।”

फाइनेंशियल कंसल्टेंसी फर्म ने कहा, “औद्योगिक मांग की बदौलत, चांदी में इस बार 50 डॉलर के स्तर को पार करने की क्षमता है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के दिवाली सीजन में सोने और चांदी की मांग में तेजी बनी हुई है क्योंकि ग्राहक अपना खरीद पैटर्न बदलकर रिकॉर्ड कीमतों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि उपभोक्ता हल्के, कम कैरेट वाले डिजाइन, लीवरेज्ड एक्सचेंज और पुराने सोने के कार्यक्रमों को पसंद करते हैं और उन्होंने डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के साथ प्रयोग किया है।

नवंबर 2022 में सोने की कीमतें लगभग 1,900 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर अक्टूबर 2025 तक लगभग 3,850 डॉलर हो गईं और घरेलू कीमतें 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गईं। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में औद्योगिक मांग से चांदी की कीमतें 24 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर लगभग 47 डॉलर हो गईं।

फर्म ने बताया कि अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती, केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीदारी और सोलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में औद्योगिक पुनःभंडारण से बढ़ी उम्मीदों के कारण सोने में तेजी आई। सोने ने वृहद आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच मूल्य के एक स्थिर भंडार के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की, जबकि चांदी ने इंडस्ट्रियल रिवाइवल के चक्रीय संकेतक के रूप में इस गति को बढ़ाया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष जून तक ऑफिशियल गोल्ड रिजर्व के सबसे बड़े होल्डर अमेरिका के पास 8,133 टन स्वर्ण भंडार था, उसके बाद 3,350 टन के साथ जर्मनी का स्थान था। उभरते बाजारों में, 2,299 टन के साथ चीन, 880 टन के साथ भारत और 635 टन के साथ तुर्किये तुर्की सक्रिय संचयक रहे हैं, जो अमेरिकी डॉलर से धीरे-धीरे दूर होते विविधीकरण को दर्शाता है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


Show More
Back to top button