'पर्दानशीं' महिला को बिना नकाब थाने ले जाए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया

'पर्दानशीं' महिला को बिना नकाब थाने ले जाए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ‘पर्दानशीं’ मुस्लिम महिला द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है, जिसमें कथित तौर पर दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गहन जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है। महिला को बिना नकाब के उसके घर से चांदनी महल पुलिस स्टेशन ले जाया गया था।

न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए मामले में प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश पारित किया।

पीठ ने आदेश दिया, “प्रतिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वह 6 नवंबर, 2023 को दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक की अवधि के लिए चांदनी महल पुलिस स्टेशन के अंदर और आसपास लगे सभी कैमरों के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित रखे।”

इसने याचिकाकर्ता के घर के पास से पुलिस स्टेशन की दिशा की ओर जाने वाले सभी कैमरों के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का भी निर्देश दिया।

वकील एम. सूफियान सिद्दीकी के जरिए दायर अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 6 नवंबर को जब वह अपने घर में अकेली थी, कई पुलिस अधिकारी “जबरन अंदर घुस आए” और “जबरन उसे उसके घर से खींचते हुए ले गए, हिजाब भी नहीं ओढ़ने दिया।”

उसने दावा किया कि उसे पुलिस स्टेशन में घुमाया गया और “लगभग 13 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया”।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके साथ अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार किया गया, जिसमें शारीरिक हमला भी शामिल है। उसकी गरिमा और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा (यूडीएचआर) के अनुच्छेद 3, 5 और 7 के तहत गारंटीकृत मानवाधिकारों का हनन है।

याचिका में कहा गया है, “प्रासंगिक रूप से यह सब रात के दौरान हुआ, सीआरपीसी की धारा 46 (4) का घोर उल्लंघन है, जो स्पष्ट रूप से सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद एक महिला की गिरफ्तारी पर रोक लगाता है, जब तक कि असाधारण परिस्थितियां न हों।”

याचिका में दिल्ली पुलिस को उन सभी महिलाओं द्वारा अपनाई जाने वाली पवित्र धार्मिक और सामाजिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के बारे में संवेदनशील बनाने के निर्देश देने की भी मांग की गई है, जो ‘पर्दा’ का पालन करती हैं, या तो धार्मिक आस्‍था के रूप में या किसी भी धर्म से संबंधित अपनी व्यक्तिगत पसंद के हिस्से के रूप में।

–आईएएनएस

एसजीके

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