रक्षा सचिव ने सीमावर्ती इलाकों का किया दौरा, सैन्य तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की


नई दिल्ली, 17 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया। उन्होंने 15 से 17 नवंबर तक अग्रिम इलाकों का व्यापक दौरा किया। रक्षा सचिव की इस यात्रा का उद्देश्य सीमा क्षेत्रों में सैन्य तैयारियों, सुरक्षा स्थिति, तथा अवसंरचना विकास परियोजनाओं की प्रगति का जमीनी मूल्यांकन करना था। वह पिथौरागढ़ स्थित फॉरवर्ड इलाके में पहुंचे थे। यहां उन्हें परिचालन मामलों पर विस्तृत जानकारी दी गई।

पिथौरागढ़ में रक्षा सचिव को उत्तरी भारत क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग तथा 119 (आई) इन्फैंट्री ब्रिगेड ग्रुप के कमांडर ने प्रमुख परिचालन विषयों पर ब्रीफ किया। ब्रीफिंग में वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य, परिचालन तैनाती, लॉजिस्टिक सपोर्ट, सैनिकों की तैनाती की स्थिति और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के प्रति सेना की तैयारियों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की गई।

रक्षा सचिव ने अपनी यात्रा के अगले चरण में नविढांग का दौरा किया। यहां उन्होंने संबंधित बटालियन कमांडरों और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हीरक के मुख्य अभियंता से बातचीत की। इन अधिकारियों ने रक्षा सचिव को सीमा पर परिचालन गतिविधियों व सामरिक संवेदनशील क्षेत्रों में तैनाती की जानकारी दी। रक्षा सचिव को यहां चल रही महत्वपूर्ण सीमा सड़क एवं अवसंरचना परियोजनाओं की प्रगति के बारे में भी विस्तार से अवगत कराया गया।

बता दें कि इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं का लक्ष्य रणनीतिक गतिशीलता बढ़ाना व सेना के आवागमन को सुगम बनाना है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना भी शामिल है। इस दौरान रक्षा सचिव के साथ डीजी बॉर्डर रोड्स भी मौजूद रहे। रक्षा सचिव की यह यात्रा केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। सरकार भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पर्वतीय एवं सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर संपर्क मार्ग व उन्नत सैन्य अवसंरचना विकसित कर रही है। यहां तेज निर्माण क्षमता और बेहतर परिचालन तत्परता को निरंतर सुदृढ़ किया जा रहा है।

रक्षा सचिव के दौरे से यह स्पष्ट हुआ कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य तैयारियों को उच्चतम स्तर पर बनाए रखने को प्रतिबद्ध है। महत्वपूर्ण परियोजनाओं को तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है तथा सैनिकों की आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की उच्च स्तरीय यात्राएं न केवल प्रगति की निगरानी करती हैं, बल्कि सीमा क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा की गति को भी निरंतर बढ़ाती हैं।

–आईएएनएस

जीसीबी/डीकेपी


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