2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपए तक पहुंचाने का लक्ष्य : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह


नई दिल्ली, 23 अगस्त (आईएएनएस)। पिछले एक दशक में रक्षा निर्यात लगभग 35 गुना बढ़ा है और सरकार ने इस वर्ष 30,000 करोड़ रुपए और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपए का रक्षा निर्यात हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा निर्यात 2013-14 में 686 करोड़ रुपए बढ़कर 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपए हो गया और अब रक्षा उत्पादों का निर्यात लगभग 100 देशों को किया जा रहा है।

साथ ही, उन्होंने कहा कि घरेलू रक्षा उत्पादन 2014 के 40,000 करोड़ रुपए से तीन गुना बढ़कर 2024-25 में 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है और चालू वित्त वर्ष में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की राह पर है।

‘वर्ल्ड लीडर्स फोरम’ में रक्षा मंत्री ने एक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को रेखांकित किया और देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में की गई अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला।

रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत ने 509 प्लेटफॉर्म, प्रणालियों और हथियारों को शामिल करते हुए पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी की हैं, जिनका अब अनिवार्य रूप से देश में निर्माण किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने रक्षा पूंजी खरीद बजट का 75 प्रतिशत भारतीय कंपनियों के लिए आरक्षित किया है।

राजनाथ सिंह ने कहा, “रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का हमारा दृष्टिकोण केवल आयात कम करने के बारे में नहीं है। यह एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने के बारे में है, जहां भारतीय उद्योग, सार्वजनिक और निजी, विश्व स्तरीय क्षमता विकसित करें, जहां हम न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करें बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उत्पादों के ग्लोबल सप्लायर्स के रूप में भी उभरें।”

उन्होंने स्वदेशी क्षमता में हालिया सफलताओं पर भी प्रकाश डाला और बताया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 97 तेजस लड़ाकू विमानों के लिए 66,000 करोड़ रुपए के ऑर्डर मिले हैं, इसके अलावा 83 विमानों का ऑर्डर भी मिला है जिसकी कीमत 48,000 करोड़ रुपए है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत फ्रांसीसी एयरोस्पेस दिग्गज साफरान के साथ साझेदारी में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए इंजन बनाना शुरू करेगा।

उन्होंने कहा कि यह कदम भारत की स्वदेशी रक्षा और एयरोस्पेस क्षमताओं को मजबूत करने के प्रयासों में एक बड़ा कदम है।

राजनाथ सिंह ने वैश्विक कंपनियों को भारत के बढ़ते रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें सरकारी समर्थन का आश्वासन दिया।

‘मेक इन इंडिया’ के पीछे के व्यापक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारी मेक इन इंडिया पहल केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। जब आप भारत में निर्माण करते हैं तो आप दुनिया के लिए निर्माण करते हैं।”

यह घोषणा रक्षा मंत्रालय द्वारा एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) कार्यक्रम के कार्यान्वयन मॉडल को मंजूरी दिए जाने के कुछ ही महीनों बाद आई है।

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रक्षा बजट में शानदार वृद्धि हुई है, जो 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2024-25 में लगभग 6.22 लाख करोड़ रुपए हो गया है और ऑपरेशन सिंदूर के सफल संचालन के बाद इसमें वृद्धि की योजना है।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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