राष्ट्रहित और जनहित में लिया गया निर्णय हमारी संस्कृति: सीएम योगी

लखनऊ, 13 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन में तीन स्थितियां होती हैं: प्रवृत्ति, विकृति और संस्कृति। प्रवृत्ति तब होती है जब स्थिति सामान्य रहती है। इंसान बदलाव तो चाहता है, लेकिन खुद को इसके लिए तैयार करने में हिचकता है। अगर कोई व्यक्ति या संस्थान लगातार नीचे की ओर जाता है, तो यह विकृति है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति ऐसा निर्णय लेता है जो जनता और देश के हित में हो, तो यह संस्कृति है। इस संस्कृति का एक शानदार उदाहरण डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान है। संस्थान ने महज 19 वर्षों में 20 बेड से बढ़कर 1,375 बेड का विस्तार किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया। इस दौरान सीएम योगी ने 298 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि देश और व्यक्ति की गति काल की गति है। हमें काल की गति से दो कदम आगे चलने के लिए तैयार रहना चाहिये। जो व्यक्ति, समाज या देश काल की गति को पहचान नहीं पाता है, वह काल की चपेट में स्वयं आ जाता है, क्योंकि काल की गति तो वही है, जिसके बारे में डॉ. श्याम नारायण पांडेय ने कहा था कि ये महाकाल का आसन है, इस पर किसी का शासन नहीं होता है। यदि कोई यह मन में बैठा ले कि मैं समय की गति को अवरुद्ध कर दूंगा, तो यह उसकी गलतफहमी होगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें काल की गति से दो कदम आगे चलना होगा। अगर हम इस गति से चलेंगे तो प्रगति करेंगे, अगर नहीं चल पा रहे हैं, अगर हम अपने को केवल समय के अनुरूप लेकर के जा रहे हैं, तो फिर हमें यथास्थितिवादी के रूप में लोग मानेंगे। हम कब आए, कब गए किसी को पता नहीं होगा। वहीं, अगर हमारे कारण संस्थान को नुकसान हो रहा है तो मानकर चलिए कि आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
सीएम ने कहा कि काल की गति के मामले में संस्थान ने अच्छी प्रगति हासिल की है। यही वजह है कि संस्थान ने पांच वर्षों में प्रदेश के टॉप तीन चिकित्सा संस्थानों में अपना नाम दर्ज कराया है। इसमें पहला केजीएमयू 110 वर्ष की अपनी आयु पूरी कर चुका है, दूसरा एसजीपीजीआई जो लगभग चार दशक पुराना है। लोहिया संस्थान ने काफी कम समय में एक लंबी छलांग लगाकर, प्रदेश के तीसरे टॉप चिकित्सा संस्थान में अपना नाम दर्ज कराया है। संस्थान की यह उपलब्धि दर्शाती है कि हमारी दिशा और लीडरशिप सही है। हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस दौरान कई भौतिक चुनौतियां आती हैं, लेकिन टीमवर्क होता है, कार्य करने का जज्बा होता है, तो वह लोगों के मन में एक नए उत्साह का संचार करता है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लोहिया संस्थान एक ऐसे स्थान पर स्थित है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश का मुहाना है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का हर पेशेंट सबसे पहले आरएमएल में आता है। इसके बाद केजीएमयू या एसजीपीजीआई की तरफ जाता है। सबसे घनी आबादी पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल की है। ऐसे में यहां से लोग सबसे पहले आरएमएल की ओर अपना रूख करते हैं। प्रदेश में चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा में हुए सुधारों की दिशा में तीन प्रमुख संस्थानों का योगदान अत्यधिक सराहनीय रहा है। इन संस्थानों ने सम और विषम परिस्थितियों में कार्य करते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य और शिक्षा के नए मानक स्थापित किए हैं। यह सुधार खासतौर पर कोरोना महामारी के दौरान देखे गए, जब उत्तर प्रदेश को पहली बार ऐसी महामारी का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि कोरोना के प्रारंभिक दिनों में उत्तर प्रदेश में कोविड की जांच की कोई सुविधा नहीं थी। जब पहला मरीज आगरा और नोएडा से आया, तो उनके सैंपल दिल्ली के प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स और सफदरजंग में भेजे गए थे। धीरे-धीरे प्रदेश में जांच की सुविधाएं विकसित की गईं और टेस्टिंग प्रक्रिया में सुधार हुआ। उस समय राज्य में 36 जनपद ऐसे थे, जहां आईसीयू का एक भी बेड नहीं था और ट्रेंड मैनपावर की भारी कमी थी। इसके बावजूद प्रदेश ने नए मॉडल अपनाए, जैसे वर्चुअल आईसीयू।
सीएम योगी ने आगे कहा कि एसजीपीजीआई, केजीएमयू और आरएमएल अस्पतालों ने प्रदेश के 75 जनपदों में वर्चुअल आईसीयू के माध्यम से मरीजों को बेहतर राहत देने के लिए प्रशिक्षित मैनपावर को भेजा। इन संस्थानों ने प्रशिक्षण प्राप्त मास्टर ट्रेनर्स की मदद से अन्य मेडिकल कॉलेजों और कोविड अस्पतालों को मार्गदर्शन प्रदान किया। इसी का परिणाम है कि प्रदेश ने टेक्नोलॉजी का उपयोग करके महामारी को मात देने का मॉडल दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
–आईएएनएस
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