बीकानेर में वर्ष की अंतिम लोक अदालत में उमड़ी लोगों की भीड़, लंबित प्रकरणों के समाधान पर जोर


नई दिल्ली, 21 दिसंबर (आईएएनएस)। बीकानेर में रविवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लंबित मामलों को निपटाने की कोशिश की गई। इस लोक अदालत में करीब तीन हजार से ज्यादा लंबित प्रकरण रखे गए। इसके साथ ही अदालत में जाने से पहले के मामलों को भी शामिल किया गया, ताकि लोगों को आपसी समझौते के जरिए जल्दी और आसानी से न्याय मिल सके।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव मांडवी राजवी ने बताया कि इस लोक अदालत में न्यायालयों में लंबित तीन हजार से अधिक मामलों को रखा गया है। इसके अलावा, ऐसे मामले भी शामिल किए गए हैं जो अभी अदालत तक नहीं पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों को लंबी कानूनी प्रक्रिया से राहत मिले और आपसी सहमति से मामलों का समाधान हो सके।

इस लोक अदालत में सभी प्रमुख विभागों की भागीदारी रही। बैंकों की ओर से उनके प्रतिनिधि मौजूद रहे, वहीं बिजली विभाग, बीएसएनएल और अन्य विभागों के प्रतिनिधि भी लोक अदालत में शामिल हुए। सभी पक्षकारों को पहले ही नोटिस जारी कर दिए गए थे, ताकि वे समय पर पहुंचकर अपने मामलों का निपटारा करवा सकें। रविवार को लोक अदालत में लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिली, जिससे यह साफ हुआ कि लोग इस व्यवस्था में भरोसा जता रहे हैं।

मांडवी राजवी ने बताया कि यह इस वर्ष की अंतिम लोक अदालत है, इसलिए प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिल सके। खासतौर पर बिजली बिल से जुड़े मामले, बैंक से संबंधित विवाद, ऋण वसूली के प्रकरण और बीएसएनएल से जुड़े विवादों में समझाइश के जरिए समाधान निकाला जा रहा है। ऐसे मामलों में राजीनामा होने से न केवल समय बचता है, बल्कि खर्च भी कम होता है।

उन्होंने कहा कि अगर न्यायालयों में लंबित मामलों का निपटारा लोक अदालत के माध्यम से हो जाता है, तो पक्षकारों को त्वरित और सुलभ न्याय मिलता है। यही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की मूल भावना भी है। लोक अदालत आम लोगों के लिए न्याय को आसान और सस्ता बनाती है।

उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे लोक अदालत का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। जिनके भी बिजली, बैंक या बीएसएनएल से जुड़े मामले हैं या अन्य किसी तरह के विवाद लंबित हैं, वे लोक अदालत में आकर समझौते के जरिए अपने मामलों का निस्तारण करवा सकते हैं। इससे न केवल उनका मामला सुलझेगा, बल्कि न्यायालयों पर बोझ भी कम होगा।

–आईएएनएस

पीआईएम/एएस


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