छह दशकों से आईटीएस भारत की कनेक्टिविटी को गढ़ने वाली एक शांत शक्ति रही: सीपी राधाकृष्णन


नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को नई दिल्ली में स्थित विज्ञान भवन में भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के हीरक जयंती समारोह में भाग लिया।

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आईटीएस की छह दशकों की यात्रा को ऐतिहासिक बताते हुए इसे देश की कनेक्टिविटी को जोड़ने वाली एक शक्तिशाली और शांत शक्ति के रूप में रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि 1965 में गठित आईटीएस ने दूरसंचार क्षेत्र में सरकार की महत्वपूर्ण तकनीकी-प्रबंधकीय आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भारत को डिजिटल शक्ति बनने के मार्ग पर अग्रसर किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “आईटीएस ने भारत के दूरसंचार परिदृश्य को आकार दिया है। टेलीग्राफी और लैंडलाइन कनेक्शन के शुरुआती दिनों से लेकर आज के अत्याधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे तक, इसकी यात्रा समर्पण और उत्कर्ष का प्रतीक रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इस सेवा ने लाखों भारतीयों के लिए नए अवसर खोले हैं और कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया है, जिससे राष्ट्र की प्रगति को दिशा मिली है।

सीपी राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के दूरसंचार क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व सुधारों का उल्लेख किया, जिसमें डिजिटल समावेशन और तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता दी गई है।

उन्होंने बताया कि बीएसएनएल के एकाधिकार से लेकर आज प्रतिस्पर्धी और गतिशील बाजार तक, आईटीएस ने देश के दूरसंचार विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सीपी.राधाकृष्णन ने ऐतिहासिक पड़ावों का स्मरण करते हुए बताया कि जब एक टेलीफोन कनेक्शन हासिल करना भी एक चुनौती था, उस दौर से मोबाइल प्रौद्योगिकी ने संचार व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। आईटीएस अधिकारी देश के दूरसंचार विकास के पीछे विश्वसनीय शिल्पकार रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने आईटीएस से आग्रह किया कि वह 5जी और 6जी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ कनेक्टिविटी के भविष्य में भारत को आगे बढ़ाए। प्रौद्योगिकी को समावेशी होना चाहिए, ताकि किसी भी नागरिक को पीछे न छोड़ा जाए और भारत वैश्विक स्तर पर दूरसंचार मानकों और नवाचार में अग्रणी बने।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी का उद्देश्य मानवता की सेवा करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी भारतीय समाज के विकास से वंचित न रहे।

–आईएएनएस

एसएके/डीकेपी


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