पार्टी स्थापना दिवस पर बोले कांग्रेस नेता- देश की एकता, अखंडता के लिए संघर्ष जारी है


नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। कांग्रेस पार्टी के 140वें स्थापना दिवस पर कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी ने देश के निर्माण में योगदान दिया है।

दिल्ली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि इंडियन नेशनल कांग्रेस की स्थापना 1885 में हुई थी और तब से कई महान नेताओं ने पार्टी का नेतृत्व किया है और देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। आज भी, कांग्रेस पार्टी देश के निर्माण में योगदान दे रही है। ऐसे समय में जब सरकार में कुछ ताकतें देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं, फिर भी हम मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में दृढ़ संकल्प के साथ अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं।

कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि पार्टी ने हमेशा प्रगतिशील सोच, सामाजिक मूल्यों और समानता, भाईचारा, सामाजिक न्याय, स्थिरता और निष्पक्षता जैसे आदर्शों को बनाए रखा है। पार्टी ने अपने पूरे इतिहास में इन सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। इस स्थापना दिवस पर, हम अपनी जड़ों को याद करते हैं और इन मूल्यों को बनाए रखने और मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हैं और खुद को पूरी तरह से इस काम के लिए समर्पित करते हैं।

कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव ने कहा कि यह गर्व की बात है कि कांग्रेस वह राजनीतिक पार्टी है जिसने एक परिपक्व लोकतंत्र में भारत को आजादी दिलाने की पहल की, और हम सभी इसके सदस्य होने पर गर्व महसूस करते हैं।

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि स्थापना दिवस हमारी पार्टी का है, और मेरा मानना है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे संगठित पार्टी है। स्थापना दिवस पर, हम पूरे देश में एक बार फिर यह पक्का करेंगे कि हम कांग्रेस के मूल सिद्धांतों और विचारों को कैसे और फैला सकते हैं। मेरा मानना है कि आज हमें एक स्टैंड लेने की जरूरत है, और देश में कई चुनौतियां हैं।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के आदर्शों को देश के आम लोगों ने न सिर्फ आज, बल्कि पिछले 140 सालों से अच्छी तरह समझा है। ये धर्मनिरपेक्ष आदर्श आम लोगों के हितों की रक्षा करते हैं और देश के लोकतांत्रिक नींव को मजबूत करते हैं।

कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा कि हमारे और सभी कांग्रेस सदस्यों के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया, जो सिर्फ कुछ लोगों के लिए नहीं, बल्कि सभी लोगों की आजादी के लिए थी। जब संविधान लिखा जा रहा था, तो आजादी की लड़ाई में जिन मूल्यों के लिए हमने संघर्ष किया था, उन सभी को भारत के संविधान में शामिल किया गया। चाहे वह समाजवाद हो, संसदीय लोकतंत्र हो, या धर्मनिरपेक्षता हो, आज ये सभी बड़े संकट का सामना कर रहे हैं, और यह सत्ता में बैठी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह भारतीय संविधान को मजबूती से बनाए रखे और लागू करे।

–आईएएनएस

डीकेएम/एबीएम


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