आईएनएस इक्षक की कमीशनिंग, आत्मनिर्भर भारत का साकार उदाहरण: नौसेना प्रमुख

नई दिल्ली, 6 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना का सर्वे वेसल पोत आईएनएस ‘इक्षक’ गुरुवार को सेवा में शामिल हो गया। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने आईएनएस इक्षक को भारतीय नौसेना, भारतीय उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के बीच सशक्त सहयोग का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन का साकार उदाहरण है। नौसेना प्रमुख की मौजूदगी में नेवल बेस कोच्चि में आयोजित एक भव्य समारोह में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसके साथ ही भारतीय नौसेना की हाइड्रोग्राफिक तथा समुद्री क्षमता में जबरदस्त वृद्धि हुई है।
नौसेना का यह पोत आधुनिक हाइड्रोग्राफिक और ओशनोग्राफिक प्रणालियों तथा हेलीकॉप्टर ऑपरेशन की क्षमता से लैस है। यह जहाज सर्वेक्षण मिशनों के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों तथा आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल पोत के रूप में भी कार्य कर सकता है।
बता दें कि आईएनएस इक्षक पहला ऐसा एसवीएल पोत है, जिसमें महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए अलग आवासीय सुविधा बनाई गई है। यह नौसेना की समावेशिता और आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। समारोह के दौरान नौसेना प्रमुख को 50-सदस्यीय गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। इसके बाद कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन त्रिभुवन सिंह ने शिप का कमीशनिंग वारंट पढ़ा, और राष्ट्रीय ध्वज व नौसेना ध्वज को सम्मानपूर्वक फहराया गया। उसी समय जहाज का कमीशनिंग पेनन्ट भी फहराया गया, जो तब तक लहराता रहेगा जब तक पोत सेवा में रहेगा।
इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा कि आईएनएस इक्षक का कमीशनिंग भारतीय नौसेना, देश के शिपबिल्डिंग उद्योग और राष्ट्रीय समुद्री दृष्टिकोण के लिए एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि आज समुद्री क्षेत्र भू-राजनीति, तकनीक और रणनीति के प्रभाव से तेजी से बदल रहा है। ऐसे समय में भारत को स्थिरता के प्रतीक, ‘लाइटहाउस’ की भूमिका निभानी है। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “जब वैश्विक समुद्र उथल-पुथल में हों तो विश्व एक स्थिर प्रकाशस्तंभ की ओर देखता है—भारत उस भूमिका के लिए सक्षम है।”
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि सर्वे वेसल्स का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज जब समुद्र तल के खनिज संसाधनों की खोज और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं, तब सटीक हाइड्रोग्राफिक डेटा रणनीतिक आवश्यकता बन चुका है। उन्होंने बताया कि भारतीय सर्वे वेसल्स ने हाल के वर्षों में मॉरिशस से वियतनाम तक हाइड्रोग्राफिक सहयोग प्रदान किया है, जिससे भारत की साझा समुद्री प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।
एडमिरल त्रिपाठी ने अब कमीशन हो रहे सभी जहाज लगभग 80 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित हैं। उन्होंने कमांडिंग ऑफिसर और क्रू को संबोधित करते हुए कहा कि आपके कंधों पर इस जहाज में प्राण फूंकने, इसकी परंपराएं स्थापित करने और इसके चरित्र को गढ़ने की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि ‘निर्भय वीर पथप्रदर्शक’ के मूलमंत्र को आत्मसात कर, निडर भावना और साहसिक कर्म से आप नौसेना का गौरव बढ़ाएं।
अंत में उन्होंने सदर्न नेवल कमांड को इस नए और अत्याधुनिक पोत के जुड़ने पर बधाई दी। इस नौसैनिक पोत का निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) लिमिटेड द्वारा किया गया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इक्षक भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता का एक उत्कृष्ट प्रतीक है। इस पोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी उपकरणों तथा सामग्री का उपयोग किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के साथ-साथ जीआरएसई और देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के बीच सशक्त होते सहयोग व तकनीकी सामंजस्य को भी दर्शाता है।
–आईएएनएस
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