नेपाल में चुनाव का रास्ता साफ, जानें कैसे होता है निर्वाचन

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। नेपाल में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं ताकि लोकतांत्रिक तरीके से सरकार बनाई जा सके। राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। आइए जानते हैं कि संघीय चुनाव और प्रांतीय चुनाव क्या हैं और अनुपातिक प्रतिनिधित्व/प्रपोर्शनल रिप्रजेंटेशन (पीआर) और फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (एफपीटीपी) का इससे क्या संबंध है।
नेपाल में दो तरह के चुनाव होते हैं, एक संघीय चुनाव और दूसरा प्रांतीय चुनाव। संघीय चुनाव में दो सदन, प्रतिनिधि सभा/निचला सदन और राष्ट्र सभा/ऊपरी सदन होते हैं। इनके अलग-अलग चुनाव होते हैं। वहीं प्रांतीय चुनाव में नेपाल के सातों प्रांत अपनी-अपनी प्रांतीय सभा के लिए चुनाव करते हैं। कुल मिलाकर तीन स्तरों में चुनाव कराए जाते हैं।
नेपाल में चुनाव की व्यवस्था मिश्रित चुनाव व्यवस्था पर आधारित है। इसमें प्रपोर्शनल रिप्रजेंटेशन (पीआर) और फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (एफपीटीपी) आता है। नेपाल में इस व्यवस्था को 2015 में लागू किए गए संविधान के तहत बनाया गया है। एफपीटीपी से स्थानीय प्रतिनिधित्व मिलता है। पीआर से विविधता और आनुपातिकता सुनिश्चित होती है।
संघीय चुनाव में एफपीटीपी में सबसे ज्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार जीत हासिल करता है। नेपाल 165 निर्वाचन क्षेत्रों में बंटा है, इसलिए एफपीटीपी के तहत इन सभी क्षेत्रों में जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, उसे जीत मिलती है। दूसरी ओर कुल 110 सीटें पीआर सिस्टम के जरिए भरी जाती हैं, जिसमें वोटर्स पार्टी को वोट देते हैं। इसमें पार्टी को जितने फीसदी वोट मिलते हैं, उतनी फीसदी सीटें भी मिलती हैं।
प्रांतीय चुनाव में एफपीटीपी सिस्टम के तहत नेपाल के 7 प्रांतों को स्थानीय निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है। इसमें हर क्षेत्र में जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेगा, वही उम्मीदवार जीतेगा। पीआर सिस्टम में पार्टियों की तरफ से प्रांत के स्तर पर लिस्ट दी जाती है और वोट फीसदी के आधार पर पार्टी को सीटें दी जाती हैं।
नेपाल में जेन-जी के हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद केपी ओली की सरकार को गिरा दिया गया था। इसके बाद सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने कामकाज संभाला।
नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 5 मार्च 2026 को यहां चुनाव होने जा रहा है। नेपाल की लोकसभा में कुल 275 सीटें हैं, जिनमें 165 सीटों पर जनता सीधे तौर पर अपना प्रतिनिधि चुनती है। वहीं बाकी की 110 सीटों पर अलग-अलग समुदायों से प्रतिनिधि को चुना जाता है।
नेपाल की संसद में बहुमत हासिल करने के लिए कम-से-कम 138 सीटें हासिल करनी होती हैं। हालांकि, नेपाल की किसी भी पार्टी को बीते दो दशकों में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं हुई है।
—आईएएनएस
केके/एबीएम